India-US Deal:भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक बड़ा रक्षा समझौता होने वाला है। भारत, अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ 113 GE-404 फाइटर जेट इंजनों की खरीद के लिए लगभग 8300 करोड़ रुपये (1 अरब डॉलर) के सौदे को अंतिम रूप देने के करीब है। इन इंजनों का इस्तेमाल हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस LCA लड़ाकू विमानों में किया जाएगा।यह डील ऐसे समय में हो रही है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया था। इसके बावजूद, दोनों देशों के बीच यह रक्षा समझौता दर्शाता है कि रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी व्यापारिक टकराव से ऊपर है।
हर महीने सप्लाई होंगे दो इंजन
सूत्रों के अनुसार, GE अब से हर महीने भारत को दो इंजन सप्लाई करेगी। यह भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद के बाद का दूसरा बड़ा रक्षा सौदा होगा। इससे पहले भारत ने HAL से 97 तेजस मार्क 1A विमानों की खरीद के लिए 62,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया था।
HAL और GE की साझेदारी मजबूत
सरकारी स्वामित्व वाली HAL पहले ही भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस विमान तैयार करने हेतु 99 GE-404 इंजनों का सौदा कर चुकी है। अब नए सौदे में 113 और इंजन जोड़े जा रहे हैं, जिससे HAL के पास कुल 212 इंजनों की सप्लाई चेन होगी। इससे उत्पादन और डिलीवरी में तेजी आएगी और कोई बाधा नहीं होगी।
भविष्य की जरूरतों पर भी ध्यान
भारत सिर्फ GE-404 इंजनों पर नहीं रुकेगा। LCA मार्क 2 और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) जैसे आने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए भारत को करीब 200 GE-414 इंजन भी चाहिए होंगे। इसके लिए HAL और GE के बीच 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ एक बड़े सौदे की बातचीत चल रही है, जो आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में बड़ा कदम होगा।
भारतीय वायुसेना को मिलेगा आधुनिक लड़ाकू बेड़ा
सरकार ने मिग-21 जैसे पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का निर्णय लिया है। HAL की योजना के अनुसार:
83 तेजस विमान 2029-30 तक
97 अतिरिक्त विमान 2033-34 तक भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे।
यह भारत को स्वदेशी और आधुनिक लड़ाकू विमानों से लैस करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
स्वदेशी इंजन की दिशा में प्रयास जारी
भारत GE पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता। इसलिए एक स्वदेशी फाइटर इंजन परियोजना भी शुरू की गई है, जिसमें भारत फ्रांस की Safran कंपनी के साथ साझेदारी कर रहा है। यह प्रयास भविष्य में भारत को विदेशी इंजन की निर्भरता से मुक्त कर सकता है।
फाइटर इंजन बनाना क्यों है इतना जटिल?
दुनिया में फाइटर जेट इंजन बनाने की क्षमता केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे गिने-चुने देशों के पास है। भारत का कावेरी इंजन प्रोजेक्ट तकनीकी सीमाओं के कारण असफल रहा था।
फाइटर इंजन को:1500°C से अधिक तापमान
बेहद ऊंचा दबाव
सुपर एलॉय, सिंगल क्रिस्टल ब्लेड्स
एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, लेजर ड्रिलिंग, हॉट एंड थर्मल कोटिंग्स जैसी तकनीक की जरूरत होती है।
यही वजह है कि भारत को फिलहाल GE जैसे अनुभवी पार्टनर की ज़रूरत है।

