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India US Tariff:ईरान ने जताया भारत के प्रति समर्थन, मोदी ने की यूएई राष्ट्रपति से बात

India US tariff:भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ विवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। इस मामले में सबसे पहले समर्थन देने वाला देश ईरान बना है। ईरानी सरकार ने भारत का जोरदार समर्थन करते हुए अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। ईरान ने कहा है कि अमेरिका आर्थिक ताकत का दुरुपयोग करते हुए व्यापार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है अमेरिका: ईरान

ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। ईरानी प्रवक्ता ने कहा,“अमेरिका एकतरफा निर्णय लेकर वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है और आर्थिक साम्राज्यवाद को बढ़ावा दे रहा है।”ईरान ने यह भी कहा कि दुनिया को अब विकासशील देशों के बीच एक नया आर्थिक गठबंधन बनाना चाहिए, जो अमेरिका के दबाव का सामना कर सके। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापारिक लेन-देन करने वाली कई भारतीय कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

आर्थिक असमानता के खिलाफ वैश्विक मोर्चा

ईरान का मानना है कि अमेरिका स्वतंत्र देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है और यह एक खतरनाक चलन है। ईरानी अधिकारियों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस मुद्दे को विकासशील देशों की सामूहिक चिंता बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश जब व्यापार को दबाव के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, तो इससे पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जाती है।

पीएम मोदी और यूएई राष्ट्रपति के बीच बातचीत

इस बीच, भारत सरकार भी इस संकट से निपटने के लिए राजनयिक स्तर पर सक्रिय हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति से बातचीत की है। इस चर्चा का उद्देश्य था— आर्थिक सहयोग को मजबूत करना और अमेरिका द्वारा पैदा की गई अनिश्चितताओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय समर्थन जुटाना।

अमेरिका की टैरिफ नीति को मिल रहा विरोध

भारत पर अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद वैश्विक स्तर पर असंतोष बढ़ता जा रहा है। ईरान का यह कड़ा बयान न सिर्फ भारत के लिए समर्थन का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति वैश्विक स्तर पर कैसे अस्थिरता फैला रही है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य देश इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या कोई नई वैश्विक व्यापार संरचना बनती है या नहीं।

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