Operation Sindoor:हाल ही में भारत द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद देश ने पाकिस्तान को लेकर एक बार फिर अपना स्पष्ट रुख दुनिया के सामने रखा है। भारत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सुलझेगा, और इसमें किसी भी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में भूमिका निभाई थी।
विदेश मंत्रालय ने दी स्पष्ट जानकारी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में ट्रंप के दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी प्रकार के मध्यस्थ की जरूरत नहीं है, क्योंकि दोनों देश इस मुद्दे को आपसी बातचीत से सुलझा सकते हैं। उन्होंने दोहराया कि भारत की नीति स्पष्ट और अडिग है — जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसमें किसी बाहरी ताकत की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
पाकिस्तान को पीओके खाली करने की चेतावनी
रणधीर जायसवाल ने आगे कहा कि पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को तत्काल खाली करना चाहिए, क्योंकि वह भारत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि जैसी द्विपक्षीय व्यवस्था भी स्थगित ही रहेगी। यह भारत का कड़ा संदेश है कि बातचीत और सहयोग तब तक नहीं हो सकता जब तक पाकिस्तान अपनी आतंकवाद समर्थक नीतियों को नहीं छोड़ता।
तुर्किए के पाकिस्तान समर्थन पर भी जताई नाराज़गी
भारत ने तुर्किए द्वारा पाकिस्तान के समर्थन पर भी नाराज़गी जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस तरह की गतिविधियों को गंभीरता से देखता है और इसे द्विपक्षीय मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप मानता है।
ट्रंप के साथ व्यापार की चर्चा नहीं हुई
डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर भी भारत ने स्पष्टीकरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत के साथ व्यापार पर बातचीत हुई थी। रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान किसी व्यापार समझौते पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई थी, और यह दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है।
भारत ने सीजफायर और कश्मीर पर ट्रंप के दावे को किया खारिज
भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि जब तक वह आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक भारत के साथ किसी भी प्रकार के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति संभव नहीं है।