भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने की घोषणा के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक और कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। भारत की इस सख्त कार्रवाई ने पाकिस्तान को हतप्रभ कर दिया है और उसकी सरकार अब घबराहट और दबाव में बेतुके बयान दे रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए भारत को करारा जवाब देने की धमकी दी है, लेकिन यह धमकी गीदड़भभकी से ज्यादा कुछ नहीं लगती।
घबराहट में उठाए जा रहे बेमतलब कदम
भारत की तरफ से जब-जब सख्त रुख अपनाया गया है, पाकिस्तान ने हमेशा उसकी प्रतिक्रिया घबराहट और असंतुलित बयानबाजी से दी है। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का सीधा संबंध पाकिस्तान के दोहरे रवैये और सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं से है। भारत ने साफ किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक ऐसे समझौतों का कोई औचित्य नहीं बचता।
आतंकी हमले पर भारत की कार्रवाई से डरा पाकिस्तान
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि वह अब सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से जवाब देगा। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से यह कहकर पलड़ा झाड़ने की कोशिश की गई कि उसका इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने तीसरे पक्ष से जांच कराने का प्रस्ताव देकर खुद को पाक-साफ साबित करने की कोशिश की है।
तीसरे पक्ष की जांच की मांग: ध्यान भटकाने की कोशिश
पाकिस्तान द्वारा किसी “तटस्थ” या तीसरे पक्ष की जांच की मांग इस बात का संकेत है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर सहानुभूति हासिल करना चाहता है। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद को लेकर वह अब कोई ढील नहीं देगा और ऐसी मांगों को सीधे तौर पर खारिज किया जाएगा। भारत का यह रुख यह दिखाता है कि वह अब अपनी सुरक्षा और हितों को लेकर पहले से कहीं ज्यादा सजग और मजबूत हो चुका है।
भारत की कूटनीति और पाकिस्तान की हताशा
सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का भारत का कदम एक रणनीतिक और कूटनीतिक संदेश भी है, जिससे पाकिस्तान की वास्तविक स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर होती है। यह बताता है कि अब भारत अपने हितों के साथ समझौता नहीं करेगा और जो देश भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं, उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
भारत के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान
भारत की सख्ती और निर्णयों से पाकिस्तान की बेचैनी साफ दिखाई दे रही है। कभी धमकी, कभी तीसरे पक्ष की बात करके पाकिस्तान अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत के बदले हुए तेवरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह किसी भी दबाव या दिखावे की राजनीति में नहीं आने वाला।