International Tiger Day 2025:अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2025 दुनिया की सबसे संकटग्रस्त बड़ी बिल्लियों में से एक बाघ के संरक्षण की अहमियत को फिर से उजागर करता है। यह दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है और बाघों के आवास, उनकी सुरक्षा, तथा संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। इस लेख में जानेंगे कि इस दिवस की शुरुआत कैसे हुई, 2025 की थीम क्या हो सकती है, और विभिन्न देशों में बाघों के संरक्षण के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत और महत्व
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए बाघ सम्मेलन से हुई थी। इस सम्मेलन में बाघ रहित देशों के 13 नेताओं ने TX2 पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य 2022 तक विश्व में जंगली बाघों की संख्या दोगुनी करना था। इस पहल के माध्यम से बाघों और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। यह दिवस बाघों के संरक्षण के लिए वैश्विक समर्थन और प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2025 की संभावित थीम
अभी तक 2025 के लिए आधिकारिक थीम घोषित नहीं हुई है, लेकिन पिछले वर्षों में “बाघों के लिए दहाड़ें” और “बाघ बचाएँ, जंगल बचाएँ, जीवन बचाएँ” जैसे नारे सामने आए हैं। ये थीम न केवल बाघों की सुरक्षा बल्कि उनके आवासों और जैव विविधता के संरक्षण पर भी जोर देती हैं। हर साल की थीम हमें यह याद दिलाती है कि बाघों का संरक्षण मानव जीवन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है और हमें पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयास करने होंगे।
बाघों का पारिस्थितिक महत्व
बाघ प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के शीर्ष शिकारी हैं। उनकी उपस्थिति जंगलों को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में मदद करती है। बाघ शिकार प्रजातियों की संख्या को नियंत्रित करते हैं जिससे वनस्पति और जैव विविधता का संरक्षण होता है। इसके अलावा, बाघों की उपस्थिति जल स्रोतों को स्वच्छ और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को सक्रिय बनाए रखने में सहायक होती है।
विश्व स्तर पर बाघ संरक्षण के प्रयास
20वीं सदी की शुरुआत में विश्वभर में लगभग 1,00,000 बाघ थे, जो आज घटकर लगभग 4,000 रह गए हैं। मुख्य कारणों में अवैध शिकार, आवास विनाश, और मानव-वन्यजीव संघर्ष शामिल हैं। भारत जैसे देशों में प्रोजेक्ट टाइगर और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से संरक्षण कार्य जारी है। भारत में हाल की जनगणना के अनुसार लगभग 3,682 जंगली बाघ हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख प्रयास
उत्तर प्रदेश: बाघ मित्र ऐप, राज्यव्यापी वन गश्ती (एम-स्ट्राइप्स) और सामुदायिक भागीदारी की वजह से बाघ संख्या 2018 में 173 से बढ़कर 2022 तक 222 हो गई।
कर्नाटक: यहाँ बाघों की संख्या 2018 में 400 से बढ़कर 2022 में 536 हुई, हालांकि हाल ही के सर्वेक्षणों से पता चला है कि मुख्य संरक्षित क्षेत्र में बाघों की संख्या घटकर 393 रह गई है, जिससे बाघों का सीमांत इलाकों में फैलना और संघर्ष बढ़ने का खतरा है।