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ISRO Ax-04 Mission:शुभांशु शुक्ला के मिशन स्पेस को लेकर बड़ी अपडेट.. ISRO ने घोषित की नई लॉन्च डेट

ISRO Ax-04 Mission:भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष में जाने की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। लंबे समय से स्थगित हो रहे उनके मिशन को लेकर अब इसरो (ISRO) और स्पेस एक्स (SpaceX) ने नई लॉन्चिंग डेट का ऐलान कर दिया है। शुभांशु अब 19 जून 2025 को अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरेंगे। यह मिशन Axiom-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए होगा, जिसमें शुभांशु एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे।

तकनीकी बाधाओं से रुका था मिशन

इस मिशन की लॉन्चिंग पहले 29 मई को तय की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे कई बार टाला गया। बाद में 8 जून, 10 जून और 11 जून की तारीखें सामने आईं, लेकिन एक बार फिर तकनीकी गड़बड़ी की वजह से मिशन को स्थगित करना पड़ा। दरअसल, ISS पर एक लीक की समस्या सामने आई थी, जिसे दूर करने के बाद ही नई तारीख घोषित की गई है। अब स्पेस एक्स ने स्पष्ट किया है कि सभी तकनीकी समस्याओं का समाधान कर लिया गया है, और मिशन तय समय पर लॉन्च किया जाएगा।

मिशन Axiom-4 की टीम में कौन-कौन

इस अंतरिक्ष मिशन में चार अनुभवी और प्रशिक्षित यात्री शामिल हैं:
पैगी व्हिटसन – नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और वर्तमान में एक्सिओम स्पेस में मानव उड़ान निदेशक, मिशन की कमान संभालेंगी।
शुभांशु शुक्ला – भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और इसरो के अंतरिक्ष यात्री, मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे।
स्लावोज़ उज़्नानस्की-विस्निव्स्की – पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री।
टिबोर कापू – हंगरी के प्रतिनिधि यात्री।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था।
उन्होंने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, लखनऊ से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और बाद में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में दाखिला लिया।
वर्ष 2006 में वह भारतीय वायुसेना में कमीशन किए गए।
उनके पास सुखोई-30 MKI, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 जैसे विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है।
शुभांशु ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री भी प्राप्त की है।
वर्ष 2019 में उन्हें गगनयान मिशन के लिए भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री दल में चुना गया था।

41 साल बाद भारत का अंतरिक्ष में प्रतिनिधित्व

शुभांशु शुक्ला, 41 साल बाद अंतरिक्ष में भारत की ओर से उड़ान भरने वाले पहले यात्री होंगे। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्ष यात्रा की थी। शुभांशु की इस उड़ान से भारत एक बार फिर वैश्विक अंतरिक्ष जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है।

शुभांशु की उड़ान से बंधी हैं देश की उम्मीदें

Axiom-4 मिशन न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को वैश्विक मानचित्र पर और सशक्त बनाएगा।

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