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ISRO ने रचा इतिहास: LVM3-M5 रॉकेट से CMS-03 सैटेलाइट लॉन्च, भारत के स्पेस मिशन में नया अध्याय

ISRO 2025: भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में आज एक और ऐतिहासिक पल जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने शक्तिशाली LVM3-M5 रॉकेट, जिसे प्यार से ‘बाहुबली’ कहा जाता है, के माध्यम से देश के अब तक के सबसे भारी सैटेलाइट CMS-03 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया है।
यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। CMS-03 सैटेलाइट का वजन लगभग 4410 किलोग्राम है, और इसे Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) में स्थापित किया गया है। इस लॉन्च को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है।

भारत का सबसे ताकतवर लॉन्च व्हीकल

LVM3-M5, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था, इसरो का सबसे शक्तिशाली हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। यह रॉकेट 4,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को Geosynchronous Transfer Orbit (GTO) और 8,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को Low Earth Orbit (LEO) में स्थापित करने की क्षमता रखता है।

इस रॉकेट को तीन चरणों में डिजाइन किया गया है —

दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन बूस्टर (S200)
एक लिक्विड प्रोपेलेंट कोर स्टेज (L110)
एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज (C25)

सबसे खास बात यह है कि यह रॉकेट पूरी तरह भारतीय तकनीक से विकसित किया गया है। इसे भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष क्षमता और इंजीनियरिंग कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है।

मिशन का उद्देश्य और भविष्य की तैयारी

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश की संचार क्षमताओं को और मजबूत करना है। CMS-03 सैटेलाइट को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह भारत और पड़ोसी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली संचार सेवाएं प्रदान करेगा। इसके लॉन्च से भारत की सैटेलाइट नेटवर्क क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।

यह उड़ान LVM3 की पांचवीं ऑपरेशनल फ्लाइट है। इसी रॉकेट का ह्यूमन-रेटेड संस्करण (HRLV) भविष्य में इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए उपयोग में लाया जाएगा, जिसके तहत भारत अपने पहले मानव अंतरिक्ष अभियान की तैयारी कर रहा है। इस तरह यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि भविष्य की मानव उड़ानों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

‘बाहुबली’ की तकनीकी मजबूती

‘बाहुबली’ रॉकेट को यह नाम इसकी विशाल संरचना और ताकत के कारण मिला है। लगभग 43 मीटर ऊँचा और 640 टन वजनी यह रॉकेट भारत की सबसे ताकतवर लॉन्च प्रणाली है। इसकी खासियत यह है कि यह सटीकता से भारी सैटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित कर सकता है। इस रॉकेट की तकनीक भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया युग

LVM3-M5 के सफल प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बार फिर अपनी ताकत और विश्वसनीयता साबित की है। यह मिशन भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी, नवाचार और आत्मनिर्भर भारत के विजन को आगे बढ़ाने वाला साबित होगा। इसरो वैज्ञानिकों की मेहनत और समर्पण ने एक बार फिर देश को गर्व का अवसर दिया है।

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