बिहार की राजनीति में इस बार जन सुराज पार्टी की एंट्री ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज की दूसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें कुल 65 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इससे पहले भी पार्टी ने प्रत्याशियों की एक सूची जारी की थी, और अब दूसरे चरण में एक बड़ा सामाजिक सन्देश देने की कोशिश की गई है।
प्रशांत किशोर ने इस मौके पर स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को प्राथमिकता देगी। उन्होंने ऐलान किया कि 70 टिकट अति पिछड़े समाज के उम्मीदवारों को दिए जाएंगे। यह घोषणा राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने वाली मानी जा रही है, क्योंकि बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग एक निर्णायक भूमिका में रहा है।
अभयकांत झा होंगे भागलपुर से प्रत्याशी, दंगा पीड़ितों के मददगार रहे हैं
जन सुराज पार्टी की इस सूची में एक और नाम खासतौर पर चर्चा में है — अभयकांत झा, जो भागलपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। प्रशांत किशोर ने उनके बारे में बोलते हुए कहा कि उन्होंने भागलपुर दंगे के समय कई परिवारों की जान बचाई और उन्हें न्याय दिलाने के लिए लगभग नि:शुल्क मुकदमे लड़े।
प्रशांत किशोर ने बताया कि अभयकांत झा ने लगभग 850 परिवारों को पुनर्वास दिलाया और मुआवजा पाने में भी मदद की। जब अन्य लोग दंगा प्रभावितों की मदद से पीछे हट रहे थे, तब झा ने मोर्चा संभाला और पीड़ितों को मेरठ पलायन से रोकते हुए भागलपुर में ही रहने की व्यवस्था कराई। प्रशांत किशोर ने कहा, “बड़े-बड़े नेता और दल आए और चले गए, लेकिन अभयकांत झा ने कभी राजनीति में आने का लालच नहीं दिखाया। आज जब वे जन सुराज से जुड़ रहे हैं, तो यह बदलाव की दिशा में बड़ा कदम है।”
बिहार में बदलाव की तैयारी, सामाजिक न्याय को प्राथमिकता
जन सुराज पार्टी की हालिया गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव और न्याय की दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है। अति पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाने की रणनीति के तहत टिकट वितरण किया जा रहा है।
प्रशांत किशोर के इस प्रयास को बिहार की पारंपरिक राजनीति के मुकाबले एक नई सोच के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि यह रणनीति आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कितना असर दिखा पाती है।