कंगना रनौत की आगामी फिल्म ‘इमरजेंसी’ काफी समय से विवादों में घिरी हुई है। इस फिल्म की रिलीज से पहले हुए विवादों के चलते आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कोर्ट को सूचित किया कि कंगना रनौत, जो फिल्म की सह-निर्माता हैं, बोर्ड द्वारा सुझाए गए कट्स और बदलावों पर सहमत हो गई हैं।
सेंसर बोर्ड के सुझाव और कंगना की सहमति
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएफसी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने जस्टिस बीपी कोलाबावाला और जस्टिस फिरदोश पूनीवाला की बेंच के समक्ष दलील दी कि कंगना रनौत ने बोर्ड के साथ बैठक की थी और फिल्म में 13 बदलावों को स्वीकार कर लिया है। इनमें 6 नए इंसर्शन, 4 एक्सक्लूजन और 3 मोडिफिकेशन शामिल हैं।
सिख समुदाय की चिंताएँ और कोर्ट में याचिका
हाईकोर्ट में यह सुनवाई फिल्म के को-प्रोड्यूसर जी स्टूडियोज़ की याचिका पर हो रही थी, जिसमें सेंसर सर्टिफिकेट जारी करने की मांग की गई थी। इस याचिका के पीछे सिख समुदाय की वह शिकायत थी, जिसमें उन्होंने फिल्म में अपने समुदाय को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया था। ज़ी स्टूडियोज़ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शरण जगतियानी ने कोर्ट को बताया कि कंगना रनौत ने सीबीएफसी के सुझावों को मान लिया है।
फिल्म में सुझाए गए बदलाव
सीबीएफसी ने फिल्म में कुल 13 बदलावों का सुझाव दिया है। इन बदलावों में सबसे प्रमुख सिख समुदाय को लेकर दिखाए गए सीन्स और डायलॉग से संबंधित हैं। बोर्ड ने विशेष रूप से सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की प्रशंसा वाले वाक्यांश को हटाने की सिफारिश की है। इसके अलावा, ‘संत’ और ‘भिंडरावाले’ जैसे शब्दों को भी एक संवाद से हटाने का सुझाव दिया गया है।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से उन डायलॉग्स और सीन्स को भी हटाने के लिए कहा है, जो गैर-सिखों को निशाना बनाते हुए प्रतीत होते हैं। इसके साथ ही, ‘खालिस्तान’ से संबंधित एक डायलॉग को भी हटाने की मांग की गई है। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई बातचीत को भी फिल्म से हटाने का सुझाव दिया गया है।
डिस्क्लेमर और रियल फुटेज का उपयोग
सीबीएफसी ने फिल्म के निर्माताओं से यह भी अनुरोध किया है कि फिल्म में एक डिस्क्लेमर जोड़ा जाए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि यह फिल्म “सच्ची घटनाओं से प्रेरित” है और इसमें “ड्रामैटिक ट्रांसफॉर्मेशन” का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही, जहां भी फिल्म में रियल फुटेज का उपयोग हुआ है, वहां स्टेटिक टेक्स्ट लगाना चाहिए, ताकि यह दर्शकों को स्पष्ट हो सके कि यह वास्तविक फुटेज है।
फिल्म के आँकड़ों और बयानों पर दस्तावेजी प्रमाण की माँग
बोर्ड ने निर्माताओं से फिल्म में प्रस्तुत किए गए सभी आँकड़ों, बयानों और संदर्भों के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करने को भी कहा है। यह मांग इसलिए की गई है ताकि फिल्म की प्रामाणिकता को सुनिश्चित किया जा सके और यह सुनिश्चित हो कि कोई गलत जानकारी या विवादित संदर्भ न दिए गए हों।
कंगना के पहले के बयान पर प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि सेंसर बोर्ड की ये सिफारिशें उस समय आईं जब कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि वह अपनी फिल्म के किसी भी हिस्से को नहीं काटेंगी और इसे उसी रूप में रिलीज करेंगी, जैसा इसे बनाया गया है। हालांकि, अब उन्होंने सेंसर बोर्ड के सुझावों को स्वीकार कर लिया है।