Karwa Chauth 2025: भारत में अक्टूबर-नवंबर के महीने में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक खास पर्व है करवा चौथ, जो विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। करवा चौथ का त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व पूरे देश में उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
करवा चौथ का महत्व
हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। यह पर्व मुख्यतः विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। करवा चौथ पर महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और समूह में एकत्र होकर कथा सुनती हैं।
पूजन विधि और समय
इस दिन शाम को करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के लिए महिलाएं करवा (मिट्टी का कलश), जल, दीपक, चावल, रोली और मिठाई आदि सामग्री से पूजन करती हैं। व्रत की पूजा चंद्रोदय से पहले की जाती है और चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
चंद्रमा के दर्शन का समय (Karwa Chauth 2025 Chand Nikalne Ka Samay)
हर वर्ष की तरह 2025 में भी अलग-अलग शहरों में चंद्रमा के निकलने का समय अलग-अलग है। यहां प्रमुख शहरों के अनुसार चंद्रमा के दर्शन का संभावित समय बताया गया है:
दिल्ली – रात 8:13 बजे
गुरुग्राम – रात 8:13 बजे
गाजियाबाद – रात 8:13 बजे
नोएडा – रात 8:13 बजे
चंडीगढ़ – रात 8:08 बजे
लुधियाना – रात 8:11 बजे
जयपुर – रात 8:22 बजे
इंदौर – रात 8:33 बजे
भोपाल – रात 8:26 बजे
रायपुर – शाम 7:43 बजे
मुंबई – रात 8:55 बजे
कोलकाता – शाम 7:30 बजे
चेन्नई – रात 8:38 बजे
महिलाएं इस समय के अनुसार चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य अर्पण करेंगी और फिर व्रत खोलेंगी।
श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक
करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि दांपत्य प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन पति भी अपनी पत्नी के व्रत और प्रेम को सम्मान देते हैं, कुछ पति तो पत्नी के साथ उपवास भी रखते हैं। यह पर्व नारी शक्ति, प्रेम, समर्पण और आस्था का अनूठा संगम है।
इस प्रकार करवा चौथ का यह व्रत न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि पारिवारिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।