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महाकुंभ 2025: 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, विश्व रिकॉर्ड बना


Maha Kumbh 2025: भारत का महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक – पर आयोजित होता है, इस बार एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर बना। 2025 के महाकुंभ में, 45 दिनों के भीतर 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई, जो कि एक रिकॉर्ड बन गया। यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या अन्य आयोजनों में इतनी बड़ी भीड़ का एकत्र होना इतिहास में कहीं नहीं देखा गया। इस दौरान केवल भारत की जनसंख्या ही नहीं, बल्कि चीन की जनसंख्या से भी अधिक श्रद्धालु एक साथ इस धार्मिक आयोजन में शामिल हुए हैं।

अमेरिका की आबादी से दोगुने श्रद्धालु
महाकुंभ मेला 2025 में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया है। कुल 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लिया, जो कि अमेरिका की जनसंख्या से दोगुना था। यह संख्या इतनी बड़ी थी कि इसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। महाकुंभ का यह आयोजन विश्व भर के धार्मिक प्रेमियों और आस्थावानों के लिए एक अद्वितीय अवसर था, जहां पर लोग अपनी आस्थाओं को और विश्वास को एक साथ साझा कर रहे थे।

पाकिस्तान और रूस भी रह गए पीछे
महाकुंभ में जुटी इस विशाल भीड़ ने दुनिया के अन्य बड़े देशों के आयोजनों को भी पीछे छोड़ दिया है। उदाहरण के तौर पर, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों में आयोजित होने वाले सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में भी इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र नहीं हुए हैं। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि महाकुंभ मेला न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

2019 के कुंभ मेला से तुलना
2019 में आयोजित हुए कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 25 करोड़ थी, जो कि उस समय एक अभूतपूर्व संख्या मानी जा रही थी। लेकिन इस बार 2025 में यह संख्या लगभग 66 करोड़ तक पहुंच गई, जो कि न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी एक नया रिकॉर्ड बन गया है। यह दर्शाता है कि समय के साथ लोगों का महाकुंभ में आस्था और विश्वास बढ़ता जा रहा है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। यह मेला हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें पवित्र नदी में स्नान करने से उनके पाप धोने और मोक्ष प्राप्ति का विश्वास होता है। साथ ही, यह मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का प्रतीक भी है, क्योंकि इसमें दुनिया भर से लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं के साथ शामिल होते हैं।

इस प्रकार, 2025 के महाकुंभ मेला ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में एक नया इतिहास रचा है। 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रभाव दुनियाभर में फैला हुआ है, और यह मेला समय-समय पर दुनिया भर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहेगा।

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