Kanika Kapoor: भारतीय संगीत जगत में अपनी अद्भुत आवाज और अनोखे अंदाज़ से पहचान बनाने वाली मशहूर गायिका कनिका कपूर ने एक बार फिर देश का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। उनकी म्यूज़िक एल्बम ‘साउंड्स ऑफ महाकुंभा’ का गीत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक—ग्रैमी अवॉर्ड्स—के लिए नॉमिनेट हो गया है। यह नॉमिनेशन आने वाले 68वें ग्रैमी अवॉर्ड्स 2026 के लिए घोषित किया गया है।
कनिका कपूर, जिन्होंने कई हिट बॉलीवुड गानों के जरिए अपनी खास जगह बनाई है, लंबे समय से भारतीय संगीत को वैश्विक मंचों पर ले जाने का काम कर रही हैं। लेकिन इस नॉमिनेशन ने उन्हें एक अलग ही ऊँचाई पर पहुंचा दिया है। उनकी इस उपलब्धि से न सिर्फ संगीत उद्योग, बल्कि देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई है।
महाकुंभ की आवाज पहुंची वैश्विक मंच तक
साल की शुरुआत में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला, जो विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में गिना जाता है, उसी दौरान कनिका कपूर ने ‘साउंड्स ऑफ महाकुंभा’ एल्बम को अपनी जादुई आवाज़ से सजाया था। इस एल्बम का उद्देश्य महाकुंभ के पवित्र और सांस्कृतिक महत्व को संगीत के जरिये वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना था।
कनिका द्वारा गाया गया महाकुंभ गीत रिलीज़ होते ही बेहद लोकप्रिय हो गया। भक्ति रस और आधुनिक संगीत का सुंदर संगम लोगों को इतना पसंद आया कि गाना तेजी से वायरल हुआ और दुनिया भर के भारतीय समुदाय के बीच चर्चा में रहा।
इसी लोकप्रियता और प्रभाव के चलते इस गीत को ग्रैमी 2026 में नॉमिनेट किया गया है। यह न सिर्फ कनिका कपूर बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए भी अत्यंत गर्व का पल है।
कनिका कपूर की पहली प्रतिक्रिया
नॉमिनेशन मिलते ही कनिका कपूर ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए बहुत खास है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ जैसे आध्यात्मिक आयोजन से जुड़ा संगीत बनाना उनके लिए सम्मान की बात थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और हमारी पारंपरिक ध्वनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पसंद किया जाना उनके लिए बेहद प्रेरणादायक है।
कनिका ने अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सफलता उन सभी लोगों की है जिन्होंने उनके संगीत को दिल से अपनाया और आगे बढ़ाया।
भारतीय संगीत के लिए बड़ी उपलब्धि
ग्रैमी नॉमिनेशन किसी भी कलाकार के लिए सबसे बड़े सम्मान में से एक होता है। भारतीय संगीत—विशेषकर आध्यात्मिक और पारंपरिक धुनों—का इस मंच तक पहुँचना यह साबित करता है कि भारत की सांस्कृतिक ध्वनियाँ वैश्विक स्तर पर कितना प्रभाव छोड़ रही हैं।

