Operation Sindoor:मौलाना मसूद अज़हर, जो कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख हैं, ने अपने परिवार के 14 शहीदों के बारे में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने अपनी गहरी संवेदनाओं और विचारों का इज़हार किया। उन्होंने अल्लाह तआला के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि शहीद ज़िंदा होते हैं और अल्लाह तआला उनके मेज़बान होते हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के दस सदस्य शहीद हुए हैं, जिनमें पांच मासूम बच्चे, उनकी बड़ी बहन साहिबा, उनके खाविंद, आलिम फाजिल भांजे और उनकी पत्नी, साथ ही उनकी प्यारी आलिम फाजल भांजी शामिल हैं।
शहीदों की शहादत
मौलाना ने अपनी शहादत के शहीदों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा, “मेरे खानदान के दस इफरात को आज रात सआदत नसीब हुई। इनमें पांच मासूम बच्चे हैं, जो जन्नतुल फिरदौस के फूल हैं।” उन्होंने अपने परिवार के अन्य शहीद सदस्य के बारे में भी विस्तार से बताया और उन्हें अल्लाह तआला के मेहमान और लाड़ले बताया।उन्होंने यह भी कहा कि उनका परिवार, जिसमें उनके भाई हुजैफा और उनकी मां भी शामिल हैं, इस दुखद घटना का शिकार हुआ। मगर उनका मानना था कि यह उनका तय समय था और अल्लाह तआला ने ही यह मौत का फैसला किया था। “यह सआदत उन लोगों को मिलती है, जिनसे अल्लाह तआला प्यार फरमाता है,” उन्होंने कहा।
मोदी पर आरोप
मौलाना मसूद अज़हर ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला करते हुए उन्हें ‘बुझदिल’ करार दिया। उन्होंने कहा कि मोदी ने मासूम बच्चों, पर्दानशीन महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बनाया। मसूद अज़हर का कहना था कि इस हमले का गम और सदमा इतना बड़ा था कि इसे शब्दों में बयान करना कठिन था, लेकिन वह न तो मायूस हैं, न ही उन्हें कोई खौफ है। बल्कि वह बार-बार सोचते हैं कि वह भी इस शहीदों के काफिले में शामिल हो जाते, मगर उन्हें विश्वास है कि अल्लाह तआला से मुलाकात का वक्त तय है और वह इसे टाल नहीं सकते।मौलाना ने शहीद हुए बच्चों का जिक्र करते हुए कहा कि उनके परिवार में चार बच्चे थे, जिनकी उम्र 7 से 3 साल के बीच थी। इन बच्चों को जन्नत में भेजा गया और उनके माता-पिता अकेले रह गए, लेकिन यह सब कुछ अल्लाह तआला की इच्छा थी और इन बच्चों की शहादत एक बड़ी सआदत थी।
काफिरों के लिए चेतावनी
मौलाना मसूद अज़हर ने यह भी कहा कि “मोदी के जालिम सरकार ने सारे जालिजे तोड़ दिए हैं। अब वहां रहम की कोई उम्मीद नहीं है।” उन्होंने जामा मस्जिद पर बमबारी का जिक्र करते हुए कहा कि वहां शहीद होने वाला गुंबद एक महत्वपूर्ण निशान होगा, और काफिरों और दुश्मनों पर इतना भयंकर प्रहार होगा कि उनकी नस्लें इसे कभी नहीं भूल पाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह पलटवार काफिरों पर अल्लाह की तरफ से होगा और उनकी आने वाली नस्लों को भी इसका अहसास रहेगा।