Mayawati: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता अनुराग ठाकुर के बीच जातीय जनगणना पर हुई बहस पर प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी टिप्पणियां साझा की हैं और कांग्रेस तथा बीजेपी पर तीखा हमला किया है।
मायावती ने कहा कि संसद में जाति और जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जो तकरार चल रही है, वह एक नाटक के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों ही पार्टियों का इतिहास ओबीसी समाज के प्रति विरोधी रहा है, और उनके आरक्षण के मामलों में दोनों का रवैया हमेशा से छलपूर्ण रहा है। मायावती ने चेतावनी दी कि इन पार्टियों पर विश्वास करना ठीक नहीं है।
मायावती ने आगे कहा कि बीएसपी के प्रयासों से लागू हुए ओबीसी आरक्षण की तरह ही जातीय जनगणना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है। उन्होंने केन्द्र सरकार से जातीय जनगणना को गंभीरता से लेने की अपील की, यह कहते हुए कि देश के विकास में गरीबों, पिछड़ों और बहुजनों के हक की पूर्ति में जातीय जनगणना की अहम भूमिका है।
मोदी की सराहना और अनुराग ठाकुर की विपक्षी आलोचना
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में भाजपा के सदस्य अनुराग ठाकुर द्वारा दिए गए भाषण की तारीफ की है। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अनुराग ठाकुर का भाषण “तथ्यों और व्यंग्य का सही मिश्रण” है, जो ‘इंडी’ गठबंधन की गंदी राजनीति को उजागर करता है। ठाकुर ने लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण पर पलटवार करते हुए विपक्ष के नेताओं पर तीखा हमला किया।
ठाकुर ने अपने भाषण के दौरान कांग्रेस सरकारों के दौरान हुए कथित घोटालों और अतीत में कांग्रेस के नेताओं द्वारा जाति आधारित कोटा के संदर्भ में उठाए गए सवालों का जिक्र किया। ठाकुर ने राहुल गांधी की जाति संबंधी टिप्पणियों पर जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता खुद जातिवाद की राजनीति करते हैं और उनके आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।
जाति आधारित गणना के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा तब बढ़ा जब राहुल गांधी ने जाति के संदर्भ में सवाल उठाए। राहुल ने इसे अपमानजनक बताया और कहा कि यह उन्हें जातिवार गणना की मांग पर अड़े रहने से नहीं डिगा पाएगा।
इस प्रकार, संसद में जातीय जनगणना और जाति आधारित गणना पर बहस ने राजनीतिक दलों के बीच की गहराई को उजागर किया है और यह विवादित मुद्दा आगे भी चर्चा का केंद्र बनेगा।