उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के नारों पर प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया था, जिसका जवाब समाजवादी पार्टी ने ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ से दिया। अब मायावती ने इन दोनों पार्टियों पर जोरदार पलटवार किया है।
मायावती का बयान
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “जबसे उत्तर प्रदेश में नौ सीटों के उपचुनाव की घोषणा हुई है, तबसे बीजेपी और सपा गठबंधन की नींद उड़ गई है। बीएसपी इन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। काफी समय से हमने यहां अधिकांश उपचुनाव नहीं लड़े हैं। चुनाव में जनता का ध्यान बांटने के लिए बीजेपी ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और सपा के लोग ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ जैसे नारों को प्रचारित कर रहे हैं। वास्तव में, यह होना चाहिए कि ‘बीएसपी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे और आगे सुरक्षित भी रहेंगे।'”
बीएसपी की उपलब्धियों की तुलना
मायावती ने यह भी कहा कि बीएसपी का शासन जनता के लिए सबसे बेहतरीन रहा है, जबकि बीजेपी और सपा के शासन की तुलना में बीएसपी की सरकार की उपलब्धियों को जनता बेहतर मानती है। उन्होंने यह चेतावनी दी कि जनता को प्रचारित नारों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी ‘बंटोगे तो कटोगे’ और सपा ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ का नारा देकर केवल जनता को गुमराह कर उपचुनावों में लाभ उठाना चाहती हैं।
मतदाताओं को सावधान रहने की सलाह
मायावती ने कहा कि मतदाताओं को इन नारों से सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सपा के शासन में गुंडे-माफिया ही सरकार चलाते रहे हैं, और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सपा अपने गुंडों के माध्यम से उपचुनाव जीतने के लिए हर संभव हथकंडे अपना रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बीजेपी और सपा के गठबंधन से दूर रहें, ताकि वे आगे बढ़ सकें।
चुनावी परिदृश्य में बीएसपी की भूमिका
बसपा सुप्रीमो ने यह भी उल्लेख किया कि बीएसपी झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले हुए चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के गठबंधन ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जो वादे किए थे, उनमें से कई को पूरा नहीं किया। उन्होंने इस बात को दोहराया कि बीजेपी और कांग्रेस एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
निष्कर्ष
मायावती का यह बयान आगामी उपचुनावों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि वह बीजेपी और सपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल उनके पार्टी के वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास हैं, बल्कि वे विपक्षी पार्टियों की नीतियों और कार्यशैली को चुनौती देने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यूपी की जनता इस राजनीतिक द्वंद्व का क्या परिणाम देती है।