बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक नया दांव खेला है। समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए फॉर्मूले और चंद्रशेखर आजाद के उभार का जवाब देने के लिए मायावती ने पुराने फॉर्मूले की ओर रुख किया है, जिसने उन्हें 2007 में उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुँचाया था। इस बार मायावती बामसेफ के पुनर्गठन के जरिये बसपा संगठन को और अधिक मजबूती देने की योजना बना रही हैं, जिसमें आकाश आनंद की भूमिका अहम होगी।
कांशीराम के नुस्खे पर वापस
बसपा को फिर से मजबूत करने के लिए मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम के नुस्खे को अपनाने का फैसला किया है। इसी कड़ी में बसपा ने कई सालों बाद 9 अक्टूबर को लखनऊ में कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी की है। इस कार्यक्रम में हर विधानसभा क्षेत्र से बसपा समर्थकों को लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बसपा अपनी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत करने का प्रयास करेगी।
बामसेफ का पुनर्गठन
मायावती ने बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी एम्प्लॉइज फेडरेशन) का पुनर्गठन करने का फैसला लिया है, ताकि संगठनात्मक स्तर पर बसपा को नई ऊर्जा मिल सके। बामसेफ वही संगठन है जिसने बसपा के गठन से पहले दलितों और पिछड़ों के हक के लिए लड़ाई लड़ी थी। यह संगठन आरएसएस की तरह काम करता है, जैसा कि आरएसएस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए करता है। अब बामसेफ के जरिये मायावती बसपा की खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही हैं।
आकाश आनंद की भूमिका होगी अहम
चंद्रशेखर आजाद के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक मजबूत भूमिका में लाने की तैयारी की है। आकाश आनंद को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाएंगी ताकि वह पार्टी के लिए नई पीढ़ी को आकर्षित कर सकें। मायावती की यह रणनीति बसपा को फिर से प्रमुख राजनीतिक ताकत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
संगठनात्मक बदलाव
मायावती ने बसपा संगठन में कई अहम बदलाव किए हैं। उन्होंने 2022 और हाल ही में किए गए सभी संगठनात्मक सुधारों को रद्द कर दिया है। सेक्टर व्यवस्था को समाप्त कर फिर से मंडल प्रभारी बनाए गए हैं। हर जिले में बामसेफ के एक अध्यक्ष और दस उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। इसके अलावा, हर विधानसभा स्तर पर एक संयोजक नियुक्त होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि संगठन जमीनी स्तर पर मजबूत हो और हर क्षेत्र में बसपा की मौजूदगी महसूस की जा सके।
सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला
मायावती ने एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर भरोसा जताया है, जिसने उन्हें 2007 में सफलता दिलाई थी। इस बार भी बसपा ब्राह्मणों और मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति बना रही है। हर जिले में ब्राह्मण और मुस्लिम भाईचारा कमेटियां बनाई जाएंगी ताकि इन समुदायों के लोगों को बसपा के साथ जोड़ा जा सके।
सतीश चन्द्र मिश्रा और मुनकाद अली की बढ़ेगी भूमिका
पार्टी में सतीश चंद्र मिश्रा और मुनकाद अली की भूमिका को और बढ़ाने की तैयारी है। सतीश चंद्र मिश्रा ब्राह्मण समुदाय को बसपा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जबकि मुनकाद अली मुस्लिम समुदाय के बीच बसपा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
मायावती की यह रणनीति 2027 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। बामसेफ के पुनर्गठन से बसपा को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी और आकाश आनंद को प्रभावी भूमिका में लाने से पार्टी को नई पीढ़ी से समर्थन मिलने की उम्मीद है। ब्राह्मणों और मुसलमानों को एकजुट करके मायावती फिर से अपने पुराने फॉर्मूले के जरिये सत्ता की ओर कदम बढ़ा रही हैं।