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मानसून सत्र आज से शुरू: विपक्ष के निशाने पर ऑपरेशन सिंदूर, ट्रंप का बयान और बिहार वोटर सूची

Monsoon Session Of Parliament:संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है और पहले दिन से ही सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना जताई जा रही है। विपक्ष पहले ही साफ कर चुका है कि वह सरकार को महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दों पर घेरने के लिए पूरी तैयारी में है। खासकर, ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया दावे, और बिहार की मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष की रणनीति तीखी रहने वाली है।

विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में जताई तीखी आपत्ति

रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के प्रति अपनी नाराजगी और अपेक्षाएं खुलकर रखीं। कांग्रेस सहित INDIA गठबंधन के दलों ने साफ किया कि वे इन मुद्दों पर केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब चाहते हैं, न कि किसी अन्य मंत्री से। विपक्ष का मानना है कि ये मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा, चुनावी निष्पक्षता और विदेशी हस्तक्षेप जैसे संवेदनशील पहलुओं से जुड़े हैं, जिन पर पीएम का बयान आवश्यक है।

ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप के दावे पर तीखा विरोध

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा रहा है। उनके अनुसार इस ऑपरेशन की संपूर्ण जानकारी संसद में रखी जानी चाहिए। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के कथित बयान, जिसमें उन्होंने भारत की आंतरिक राजनीति में दखल देने की बात कही, उस पर भी विपक्ष सरकार की कूटनीतिक प्रतिक्रिया की मांग कर रहा है।

बिहार मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा भी गर्माया

बिहार में हाल ही में हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में सामने आए 11 हजार लापता वोटर भी विपक्ष के एजेंडे का हिस्सा हैं। विपक्ष इसे फर्जी मतदाता पहचान पत्र और अवैध प्रवासियों की साजिश से जोड़कर देख रहा है। इसके पीछे सरकार की कथित भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार, लेकिन नियमों के अनुसार

सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह स्पष्ट किया है कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन चर्चा संसदीय नियमों और परंपराओं के तहत होगी। सरकार ने यह भी बताया कि इस सत्र में आठ नए विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें कई महत्वपूर्ण कानूनों से संबंधित प्रस्ताव शामिल होंगे।

टकराव और बहस का मंच तैयार

संसद का यह मानसून सत्र पहले दिन से ही राजनीतिक गरमाहट का संकेत दे रहा है। जहां एक ओर विपक्ष तीखे सवालों के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा करने की तैयारी में है, वहीं सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी। देखना यह होगा कि यह सत्र रचनात्मक बहस का गवाह बनता है या टकराव का मैदान।

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