Supreme Court Verdict On NEET UG 2024 :सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी परीक्षा दोबारा आयोजित करने की याचिका को खारिज कर दिया है। आज मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे समक्ष प्रस्तुत सामग्री और आंकड़ों के आधार पर प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का कोई संकेत नहीं है, जिससे परीक्षा की शुचिता में व्यवधान उत्पन्न होने का संकेत मिले। जो तथ्य उसके सामने उपलब्ध है,उसके मद्देनजर दोबारा परीक्षा कराना न्यायोचित नहीं होगा। SC ने नीट की दोबारा परीक्षा कराने से इंकार किया।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि नीट यूजी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो गया था और परीक्षा के संचालन में व्यवस्थागत खामियां थीं। उन्होंने परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित करने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए परीक्षा को कैंसिल करने से इंकार कर दिया।
कोर्ट का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट यूजी परीक्षा को रद्द करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है। कोर्ट ने कहा कि CBI की जांच अधूरी होने के चलते NTA से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था कि क्या गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है या फिर नहीं।
सरकार और NTA का पक्ष
केंद्र सरकार और NTA ने अपने जवाब में आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि उसके सामने उपलब्ध तथ्यों के मद्देनजर, दोबारा परीक्षा कराना सही नहीं होगा।
परीक्षा के आंकड़े
इस साल नीट यूजी परीक्षा में 1 लाख 8 हजार सीटों के लिए 23 लाख से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया। परीक्षा में कुल 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी परीक्षा को रद्द करने से साफ इंकार कर दिया है। इसके साथ ही, यह मामला अब खत्म हो गया है और छात्रों को मौजूदा परिणामों के आधार पर ही आगे की प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा
CJI ने आगे कहा कि कोर्ट को लगता है कि इस साल के लिए नए सिरे से नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा होगा, जिसका खामियाजा इस परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों को भुगतना पड़ेगा और प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान पैदा होगा, साथ ही मेडिकल एजुकेशन के सिलेबस पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, भविष्य में योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और वंचित समूह के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह होगा, जिसके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया था।कोर्ट ने अपने आदेश में उस सवाल को लेकर स्थिति साफ की, जिसके नए और पुराने सिलेब्स के आधार पर दो आंसर को सही मानकर नंबर दिए गए थे। कोर्ट ने कहा कि IIT की रिपोर्ट ने माना है कि विकल्प नंबर 4 सही है, हम IIT रिपोर्ट को स्वीकार करते हैं।