बिहार की राजनीति में एक बार फिर दिलचस्प मोड़ देखने को मिला है। तारापुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले मतदान से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी आशीष आनंद ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सम्राट चौधरी को समर्थन देने की घोषणा कर दी। इस फैसले ने तारापुर के चुनावी माहौल को और अधिक रोचक बना दिया है।
बसपा उम्मीदवार का बड़ा फैसला
आशीष आनंद ने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद यह ऐलान किया कि वह अब तारापुर में भाजपा उम्मीदवार सम्राट चौधरी के समर्थन में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन्होंने जनता और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया है।
आशीष आनंद ने कहा, “सम्राट चौधरी ने हमेशा तारापुर के विकास की बात की है। उनके नेतृत्व में क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इसलिए मैंने भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने का निर्णय लिया है।”
सम्राट चौधरी को मिला बड़ा राजनीतिक लाभ
आशीष आनंद का समर्थन भाजपा उम्मीदवार सम्राट चौधरी के लिए एक बड़ा राजनीतिक फायदा साबित हो सकता है। बसपा के पास तारापुर क्षेत्र में एक निश्चित वोट बैंक है, और यह समर्थन चुनावी समीकरण को काफी हद तक बदल सकता है।
भाजपा नेता जगदंबिका पाल ने भी इस मौके पर कहा कि सम्राट चौधरी के नेतृत्व में तारापुर विकास की नई राह पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कई गांवों का दौरा कर जनता से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान की अपील की और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तारापुर को विकास का मॉडल क्षेत्र बनाएंगी।
विकास एजेंडे पर जोर
तारापुर उपचुनाव में इस बार प्रमुख मुद्दे विकास, रोजगार और बुनियादी ढांचे के सुधार से जुड़े हैं। सम्राट चौधरी ने अपने चुनावी अभियान में जनता से वादा किया है कि वे क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता देंगे।
उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने बिहार में विकास की कई योजनाएँ शुरू की हैं और तारापुर को भी इन योजनाओं से लाभ मिलेगा। दूसरी ओर, आशीष आनंद के समर्थन से भाजपा को यह मौका मिला है कि वह विपक्षी मतों में सेंध लगा सके और अपने पक्ष में माहौल बना सके।
राजनीतिक विश्लेषण: बदलेगा तारापुर का चुनावी समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बसपा प्रत्याशी के समर्थन से सम्राट चौधरी की स्थिति मजबूत हुई है। अब मुकाबला भाजपा और विपक्षी उम्मीदवारों के बीच सीधा हो गया है। तारापुर में विभिन्न जातीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के चलते यह उपचुनाव पहले से ही काफी दिलचस्प बना हुआ था, लेकिन आशीष आनंद के फैसले ने इसे और रोमांचक बना दिया है।

