बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगले मंत्रिमंडल को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। चर्चा है कि नई सरकार के गठन के साथ ही लगभग 18 मंत्री शपथ ले सकते हैं। देर रात तक संभावित मंत्रियों के फोन बजने का इंतज़ार जारी रहा और राजनीतिक गलियारों में कई नामों पर मंथन चलता रहा। नीतीश कुमार इस बार भी अनुभवी और भरोसेमंद चेहरों पर दांव लगाने के मूड में दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि पिछली सरकार के कई मंत्री एक बार फिर मंत्रिमंडल में जगह बनाएंगे, जिनमें तीन महिला मंत्री भी शामिल हो सकती हैं।
नई सरकार की संभावित टीम बनाने में जदयू, भाजपा, रालोमो और हम पार्टियों के हिस्से का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि अंतिम फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शीर्ष नेतृत्व की सहमति से ही होगा, लेकिन फिलहाल जिन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है, वे अनुभव, कार्यशैली और पार्टी के प्रति निष्ठा के आधार पर एक मजबूत दावेदारी रखते हैं।
जदयू कोटे से चर्चित नाम
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से जिन नेताओं के नाम सबसे प्रमुखता से सामने आ रहे हैं, उनमें पहला नाम विजय कुमार चौधरी का है। उन्हें संगठनात्मक क्षमता और प्रशासनिक अनुभव का धनी माना जाता है। पिछली सरकारों में भी उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली है, इसलिए उन्हें फिर कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
इसके अलावा बिजेंद्र प्रसाद यादव का नाम भी संभावित मंत्रियों की सूची में शामिल है। वे लंबे समय से नीतीश कैबिनेट का अहम हिस्सा रहे हैं और नीति निर्माण में उनकी भूमिका को काफी मजबूत माना जाता है। श्रवण कुमार, जो मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं, इस बार भी मंत्री बनने की रेस में आगे हैं। उनके संगठनात्मक कौशल को देखते हुए पार्टी उन्हें फिर जिम्मेदारी दे सकती है।
जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी भी संभावित मंत्रियों में गिने जा रहे हैं। पार्टी और सरकार दोनों में उनकी मजबूत पकड़ है। महिला प्रतिनिधित्व की बात करें तो लेशी सिंह के दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल होने की प्रबल संभावना है। इसके साथ ही सुनील कुमार और जमा खान जैसे नेता भी नई कैबिनेट में जगह बना सकते हैं। ये दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ मजबूत करने में भूमिका निभाते रहे हैं।
नए चेहरों की भी हो सकती है एंट्री
हालांकि मंत्रिमंडल में ज्यादातर पुराने चेहरों के दोहराए जाने की चर्चा है, लेकिन कुछ नए नाम भी सुर्खियों में हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार संतुलन साधने के लिए कुछ नए नेताओं को भी मौका दे सकते हैं। इनमें भगवान सिंह कुशवाहा या रामसेवक सिंह में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। दोनों ही नेताओं की सामाजिक समीकरणों में अच्छी पकड़ है, और दलित-पिछड़ा वर्ग को साधने की रणनीति के तहत यह फैसला लिया जा सकता है।
अंतिम फैसला कब?
सभी पार्टी नेताओं और संभावित मंत्रियों के बीच उत्सुकता बनी हुई है। फोन कॉल का इंतज़ार इस बात का संकेत है कि जल्द ही सरकार शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान कर सकती है। यह देखना रोचक होगा कि नीतीश कुमार इस बार किस तरह का मंत्रिमंडल बनाते हैं—अनुभव और नई ऊर्जा का मिश्रण या पूरी तरह पुराने भरोसेमंद चेहरों पर आधारित टीम।

