भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का अभिन्न हिस्सा है, और पाकिस्तान को इसे तुरंत खाली करना होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात पर जोर दिया कि जम्मू और कश्मीर का मुद्दा पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय है, और इसमें किसी तीसरे देश या पक्ष की कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह एक आंतरिक मामला है, और कोई भी बाहरी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ देश इस मामले में मध्यस्थता की बात करते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का कड़ा रुख
हाल ही में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भारत की रणनीति और भी स्पष्ट हो गई है। यह ऑपरेशन पाकिस्तान को यह संदेश देने के लिए था कि भारत अपनी संप्रभुता और सीमा सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा। भारत ने इस अभियान के माध्यम से यह दिखा दिया कि किसी भी प्रकार की घुसपैठ या आतंकवादी गतिविधियों का करारा जवाब दिया जाएगा।
सीजफायर के बावजूद सिंधु जल संधि निलंबित
रणधीर जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) लागू होने के बावजूद सिंधु जल संधि निलंबित ही रहेगी। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक भारत के लिए उसके साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंध बहाल करना संभव नहीं है। सिंधु जल संधि पर रोक भारत की एक रणनीतिक प्रतिक्रिया है, जिससे पाकिस्तान को यह समझ आ सके कि आतंक को शह देना उसे महंगा पड़ेगा।
तीसरे पक्ष का दखल पूरी तरह खारिज
विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। भारत का रुख पहले से ही स्पष्ट रहा है कि इस प्रकार के संवेदनशील मामलों को केवल भारत और पाकिस्तान आपसी संवाद के माध्यम से सुलझा सकते हैं।
भारत ने दोहराया अपना रुख: कश्मीर मुद्दा पूरी तरह द्विपक्षीय
भारत का संदेश अब पूरी दुनिया के लिए स्पष्ट है: जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक और संवेदनशील विषय है, और इसमें बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। पाकिस्तान को चेतावनी दी गई है कि वह पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करे और आतंकवाद का समर्थन बंद करे, तभी किसी प्रकार की बातचीत की संभावना बन सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने न केवल सैन्य स्तर पर सख्त कदम उठाए हैं, बल्कि कूटनीतिक रूप से भी अपना रुख मजबूत किया है, जो कि भविष्य की नीति निर्धारण में निर्णायक साबित हो सकता है।