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पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर बने फील्ड मार्शल…शहबाज सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Asim Munir Promoted:पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने देश की सेना में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट कर दिया है। इस फैसले के बाद मुनीर अब पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं। इससे पहले यह सम्मान सिर्फ जनरल अयूब खान को मिला था। फील्ड मार्शल बनने के साथ ही आसिम मुनीर की वर्दी पर अब पांच सितारे (फाइव स्टार) सजेंगे, जो पाकिस्तान की सेना में सर्वोच्च पद का प्रतीक होता है।

भारतीय ऑपरेशन के बाद लिया गया फैसला?

यह प्रमोशन ऐसे समय में हुआ है जब कुछ समय पहले भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान को एक बड़ी सैन्य चोट दी गई थी। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला पाकिस्तान में आंतरिक सैन्य-सियासी समीकरणों को संतुलित करने और सेना की प्रतिष्ठा को बनाए रखने की कोशिश भी हो सकता है। हालांकि सरकार की ओर से इस फैसले को लेकर कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।

वायुसेना प्रमुख का कार्यकाल भी बढ़ा

इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ-साथ पाकिस्तान की कैबिनेट ने एक और अहम निर्णय लिया है। मौजूदा एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्धू का कार्यकाल रिटायरमेंट के बाद भी बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब यह है कि वह अपनी सेवाएं फिलहाल के लिए जारी रखेंगे और वायुसेना के प्रमुख पद पर बने रहेंगे। यह फैसला भी दर्शाता है कि पाकिस्तान की सरकार वर्तमान सैन्य नेतृत्व पर पूरा भरोसा जता रही है।

कौन हैं फील्ड मार्शल आसिम मुनीर?

आसिम मुनीर का सेना तक पहुंचने का सफर बाकी जनरलों से अलग रहा है। वे पारंपरिक रास्ते यानी पाकिस्तान मिलिट्री अकैडमी (PMA) के माध्यम से सेना में नहीं आए, बल्कि उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के जरिये सेना में प्रवेश किया था। मुनीर ने 1986 में ज़ियाउल हक के कार्यकाल में सेना में भर्ती ली थी। दिलचस्प बात यह है कि वे अपने रिटायरमेंट से सिर्फ दो दिन पहले ही आर्मी चीफ बने थे।मुनीर का पारिवारिक बैकग्राउंड भी खासा धार्मिक रहा है। उनके पिता रावलपिंडी की एक मस्जिद में इमाम थे और मुनीर की शुरुआती पढ़ाई एक मदरसे में हुई थी। वे हाफ़िज़-ए-क़ुरान हैं और इस्लामी कट्टर सोच के लिए पहचाने जाते हैं। मुनीर पूर्व सैन्य शासक जियाउल हक की विचारधारा से प्रभावित हैं और ‘ब्लीड इंडिया विद अ थाउजेंड कट्स’ जैसी नीति पर विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि जब भारत में पुलवामा हमला हुआ था, तब मुनीर ISI के प्रमुख के तौर पर कार्यरत थे।

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