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पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम से हड़कंप: संदिग्ध बीमारी से 100 से अधिक लोग संक्रमित, एक की मौत

Guillain Barre Syndrome:महाराष्ट्र के पुणे और उसके आस-पास के इलाकों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिससे मरीजों की तंत्रिका प्रणाली प्रभावित होती है। अब तक इस बीमारी से 100 से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं, और इनमें से 17 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इसके अलावा, सोलापुर में एक संदिग्ध मरीज की मौत भी हो गई है, जो पुणे में संक्रमण के बाद सोलापुर पहुंचा था।

पुणे और आस-पास के जिलों में 100 से ज्यादा लोग संक्रमित

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे ग्रामीण और आसपास के जिलों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के संदिग्ध मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। अब तक, इन जिलों में कुल 101 मरीजों की पहचान की गई है, जिनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इन मरीजों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं। इस बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विभाग को गंभीर चिंता में डाल दिया है, और अब वे इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं।

सोलापुर में एक संदिग्ध मौत

सोलापुर में गिलियन-बैरे सिंड्रोम से एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, मृतक पुणे में संक्रमण से प्रभावित हुआ था और बाद में वह सोलापुर पहुंचा। इस संदिग्ध मामले ने स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है, और वे इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने किए जांच के प्रयास, संदिग्ध संक्रमण के स्रोत का पता लगाने की कोशिश
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों की बढ़ती संख्या को लेकर जांच शुरू कर दी है। विभाग ने पुणे और सोलापुर में संक्रमण के स्रोत का पता लगाने के लिए पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए भेजे हैं। शुरुआती परीक्षणों से यह संकेत मिला है कि कुछ मरीजों के मल के नमूनों में नोरोवायरस संक्रमण और कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि इन संक्रमणों का GBS के मामलों से संबंध हो सकता है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है?

गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंतुओं पर हमला करता है। यह बीमारी अक्सर वायरल या बैक्टीरिया संक्रमण के बाद विकसित होती है, और इससे मरीज की नसें प्रभावित होती हैं, जिससे कमजोरी और लकवा जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस स्थिति में, मरीज को श्वसन की समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसके कारण वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ सकती है।

स्वास्थ्य विभाग ने की एडवाइजरी जारी

स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए जनता से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग ने यह भी सलाह दी है कि लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें और किसी भी असामान्य लक्षण का सामना होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन इस महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और वे इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सभी संभव उपाय कर रहे हैं।

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