Asia Cup 2025:एशिया कप 2025 के आगाज़ से पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच को लेकर देश में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर गर्मागर्म बहस छिड़ गई है। 14 सितंबर को प्रस्तावित इस हाई वोल्टेज मुकाबले को सिर्फ एक खेल आयोजन के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे कूटनीतिक विवाद और भावनात्मक संकट के रूप में भी परखा जा रहा है।
14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान का मुकाबला तय
एशिया कप 2025 का शेड्यूल कुछ दिन पहले जारी किया गया, जिसमें 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच ग्रुप स्टेज का मैच फिक्स किया गया है। इस मैच का आयोजन संभवतः दुबई या श्रीलंका में होगा, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैचों का इतिहास हमेशा विवादों से भरा रहा है, लेकिन इस बार यह मुकाबला खास वजहों से ज्यादा चर्चा में है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ा विरोध
पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में कई निर्दोष लोग शहीद हुए, जिसके बाद भारत-पाक के संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस पृष्ठभूमि में 14 सितंबर को होने वाला भारत-पाक मुकाबला कई नेताओं, सामाजिक संगठनों और जनता के बीच विरोध और नाराजगी का विषय बना हुआ है।
असदुद्दीन ओवैसी का कड़ा विरोध
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में इस मैच को लेकर सख्त शब्दों में विरोध जताया है। उन्होंने कहा, “जब खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो फिर क्रिकेट मैच कैसे हो सकता है?” ओवैसी ने शहीदों के परिवारों की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार के पास इतनी हिम्मत है कि वह जनता से कह सके कि ‘हमने बदला ले लिया, अब क्रिकेट देखें।’
शहीदों के सम्मान को लेकर बहस
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर बहस तेज है। एक ओर जहां लोग मानते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख के बिना भारत-पाक संबंधों में कोई मजबूती नहीं आ सकती, वहीं कई लोग इस मैच को शहीदों के सम्मान के खिलाफ भी मान रहे हैं। उनका तर्क है कि जब पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तब उसके साथ किसी भी तरह का संबंध, चाहे वह खेल हो या व्यापार, सही नहीं है।
बीसीसीआई और सरकार पर बढ़ता दबाव
इस मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है कि वे इस विवादित मुद्दे पर स्पष्ट नीति और रुख अपनाएं। हालांकि, अब तक सरकार या बीसीसीआई की ओर से इस विषय में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन देश भर के राजनीतिक और सामाजिक संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि शहीदों के सम्मान को ध्यान में रखते हुए इस मैच के आयोजन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।