दिल्ली में प्रदूषण का कहर: अक्टूबर 2025 में तीन इलाके सबसे अधिक प्रभावित, 23 दिन बिगड़ी रही हवा की गुणवत्ता

Delhi Pollution:अक्टूबर 2025 दिल्ली के लिए वायु प्रदूषण के लिहाज से एक चिंताजनक महीना साबित हुआ। राजधानी में पूरे महीने के दौरान हवा की गुणवत्ता बार-बार खतरनाक स्तर तक पहुंची। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने दिल्ली में 23 दिन ऐसे रहे जब वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से अधिक प्रदूषित पाई गई। इसका सीधा अर्थ है कि अक्टूबर के अधिकांश दिनों में दिल्लीवासियों ने दूषित और अस्वास्थ्यकर हवा में सांस ली।

जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा बने प्रदूषण के केंद्र

दिल्ली के सभी क्षेत्रों में से जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा सबसे ज्यादा प्रदूषित पाए गए। इन इलाकों में पीएम 2.5 (सूक्ष्म कण पदार्थ) का स्तर राष्ट्रीय मानक से लगभग दोगुना दर्ज किया गया। पीएम 2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जो फेफड़ों के भीतर गहराई तक पहुंचकर सांस संबंधी बीमारियां, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर कई बार “बहुत खराब” से लेकर “गंभीर” श्रेणी तक पहुंच गया। खासकर सुबह और शाम के समय, जब तापमान गिरने के साथ-साथ हवा की गति धीमी पड़ जाती है, तो प्रदूषक तत्व वातावरण में फंस जाते हैं। इससे लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और गले में खराश जैसी समस्याएं झेलनी पड़ीं।

प्रदूषण के मुख्य कारण: औद्योगिक उत्सर्जन और शांत मौसम

विश्लेषण में यह पाया गया कि इस बार प्रदूषण के पीछे दो प्रमुख कारण रहे—पहला, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और दूसरा, मौसम का शांत और स्थिर रहना।
दिल्ली के कई औद्योगिक क्षेत्रों में उत्सर्जन नियंत्रण के मानकों का पालन ठीक से नहीं हो रहा है। फैक्ट्रियों और निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल ने हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा को और बढ़ा दिया।

इसके अलावा, अक्टूबर में हवा की गति धीमी रहने और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक तत्व ऊपर उठकर बिखरने के बजाय जमीन के पास ही जमा होते रहे। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खराब बना रहा।

23 दिन रहे मानक से अधिक प्रदूषित

अक्टूबर 2025 के दौरान कुल 31 दिनों में से 23 दिन ऐसे रहे जब वायु गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन हुआ। इन दिनों में AQI “खराब” से “गंभीर” श्रेणी तक दर्ज किया गया। कुछ दिनों में तो पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम से लगभग पांच गुना अधिक है।

यह स्थिति बताती है कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए मौजूदा प्रयास अभी भी पर्याप्त नहीं हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर लागू किए जाने वाले ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) और अन्य कदमों का प्रभाव सीमित ही दिखा।

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