चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना की शुरुआती जांच रिपोर्ट में वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम ने रेल ट्रैक की मरम्मत में लापरवाही और पटरी का ठीक से कसा न होने को दुर्घटना का मुख्य कारण बताया है। रिपोर्ट में ट्रेन के लोको पायलट का बयान भी शामिल किया गया है, जिसमें उसने बताया कि उसे एक तेज कंपन और “खड़-खड़” की आवाज महसूस हुई, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बे पटरियों से उतर गए।
सेक्शन पर गति और चेतावनी में देरी
रेलवे की संयुक्त जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि उस सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाना था, लेकिन सूचना देर से दी गई। इस कारण लोको पायलट को सतर्क होने का समय नहीं मिला। लोको पायलट ने झटका लगने पर इमरजेंसी ब्रेक लगाया, लेकिन तब ट्रेन की रफ्तार करीब 86 किलोमीटर प्रति घंटा थी। ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी और तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर चुकी थीं।
ट्रैक में दोष और सावधानी आदेश
रिपोर्ट में बताया गया कि हादसे के कारण रेल पटरी 3 मीटर फैल गई, जिससे पावर जनरेटर कार का पहिया उतर गया। इमीडिएट रिमूवल डिफेक्ट मशीन से जांच के दौरान ट्रैक में डिफेक्ट पाया गया था, लेकिन साइड का प्रोटेक्शन नहीं किया गया। सावधानी आदेश भी हादसा होने से पहले दोपहर 2:30 बजे जारी किया गया, जो ट्रेन पायलट तक नहीं पहुंच पाया।
सामने आई बड़ी वजह
इस जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि रेल ट्रैक को अच्छी तरह कसा नहीं गया था, जिसके कारण दुर्घटना हुई। इसमें कहा गया कि रेल ट्रैक की उचित मरम्मत नहीं की गई थी और यह ठीक से काम नहीं कर रहा था। रेललाइन पर आईएमआर दोष का पता चला और दोपहर लगभग 1:30 बजे 30 किमी प्रति घंटे की सीमित गति के लिए सावधानी आदेश जारी किया गया, जिसे स्टेशन मास्टर मोतीगंज द्वारा 2:30 बजे प्राप्त किया गया। लोको पायलट के बयान के अनुसार, सेक्शन पर ट्रेन की गति लगभग 80 थी, जब उसे तेज कंपन और “खड़-खड़ ध्वनि” महसूस हुई।