उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी रणनीतिक तैयारियां शुरू कर दी हैं। उपचुनाव के मद्देनजर 13 अक्टूबर को दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें बीजेपी के प्रमुख नेता शामिल होंगे। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति विशेष रूप से होगी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक और प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल भी बैठक का हिस्सा होंगे।
उपचुनाव की तिथियों की घोषणा जल्द
सूत्रों के अनुसार, इसी महीने में उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। चुनाव आयोग (ईसी) से यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 10 से 15 दिनों के भीतर उपचुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा। महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, और माना जा रहा है कि इन्हीं चुनावों के साथ ही उत्तर प्रदेश के उपचुनाव की तिथियों की घोषणा भी हो सकती है।
किन सीटों पर होंगे उपचुनाव?
उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, वे हैं: गाजियाबाद, कुंदरकी, खैर, मीरापुर, करहल, कटेहरी, मिल्कीपुर, मझवां, सीसामऊ और फूलपुर। कानपुर की सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने के कारण खाली हुई है। वहीं, बाकी 9 सीटों के विधायक अब सांसद बन चुके हैं, जिसके कारण इन सीटों पर उपचुनाव जरूरी हो गया है। संवैधानिक नियमों के अनुसार, किसी भी सीट के खाली होने के 6 महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है। चूंकि इन विधायकों ने 10 से 14 जून के बीच इस्तीफे दिए थे, इसलिए इन सीटों पर दिसंबर से पहले चुनाव होने की संभावना है।
विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी की तैयारियां
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा उपचुनाव के लिए एक मजबूत योजना बनाते हुए 15 मंत्रियों की एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारी चुनाव प्रबंधन से लेकर योग्य उम्मीदवारों की पहचान करने तक के सभी कार्यों की देखरेख करने की है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश बीजेपी ने भी संगठन के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों की एक टीम का गठन किया है, जो चुनाव की तैयारी में मदद कर रही है।
बीजेपी की रणनीति और चुनावी संभावनाएं
बीजेपी के इस उपचुनाव में मुख्य उद्देश्य प्रदेश में अपनी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत करना है। पार्टी की शीर्ष नेतृत्व की दिल्ली में हो रही यह बैठक चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देने और उम्मीदवारों का चयन करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उपचुनावों में पार्टी की रणनीति केवल विधानसभा सीटों पर ही केंद्रित नहीं होगी, बल्कि पार्टी अपने लंबे समय के चुनावी लक्ष्यों पर भी विचार करेगी, जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं।
बीजेपी के लिए यह उपचुनाव न केवल अपनी सीटों को बचाने का मौका है, बल्कि वह प्रदेश में अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।