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TET अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी,यूपी के एक लाख शिक्षक करेंगे प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के शिक्षकों में हाल ही में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसी के विरोध में राज्यभर के शिक्षक अब दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। शिक्षकों का कहना है कि TET को अनिवार्य बनाए जाने से पहले से कार्यरत शिक्षकों के अधिकारों और नौकरियों पर संकट गहराता जा रहा है। इस बड़े विरोध प्रदर्शन में प्रदेश के लगभग एक लाख शिक्षकों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

क्यों बढ़ा शिक्षकों का आक्रोश

शिक्षकों का कहना है कि TET की अनिवार्यता उन लोगों के लिए अनुचित है जो पहले से लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हुए हैं। उनका तर्क है कि जिन्होंने पहले ही चयन प्रक्रिया के तहत नौकरी पाई है और वर्षों से विद्यालयों में सेवाएँ दे रहे हैं, उन्हें दोबारा पात्रता परीक्षा देने के लिए मजबूर करना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुँचाता है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार को यह समझना चाहिए कि अनुभव भी किसी परीक्षा से कम नहीं होता। एक शिक्षक जिसने वर्षों तक बच्चों को शिक्षित किया है, उसके लिए फिर से TET देना उनकी योग्यता पर सवाल उठाने जैसा है। इसी वजह से शिक्षक समुदाय अब एकजुट होकर इस नीति में संशोधन की मांग कर रहा है।

दिल्ली में होगा विशाल प्रदर्शन

इस मुद्दे को लेकर विभिन्न शिक्षक संघों ने मिलकर दिल्ली में एक विशाल प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। उनका उद्देश्य है कि केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय तक उनकी आवाज़ पहुँचे। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा लेकिन प्रभावशाली भी। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों से शिक्षक दिल्ली पहुँचने की तैयारी कर रहे हैं।

इस प्रदर्शन में लगभग एक लाख शिक्षकों के शामिल होने का अनुमान है। इसके लिए शिक्षक संघों ने सोशल मीडिया और स्थानीय बैठकों के माध्यम से शिक्षकों को संगठित करना शुरू कर दिया है। रेल और बस के माध्यम से दिल्ली पहुँचने की योजनाएँ बनाई जा रही हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा शिक्षक इस आंदोलन में भाग ले सकें।

शिक्षक संगठनों की रणनीति

शिक्षक संगठनों ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है। जिलों और ब्लॉकों में बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिसमें शिक्षकों को इस नीति के प्रभाव के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही, संगठन ने सरकार को ज्ञापन भेजकर अपनी मांगें दोहराई हैं।

शिक्षक नेताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि सरकार कार्यरत शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता को खत्म करे या फिर उन्हें इससे छूट प्रदान करे। यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो संसद मार्ग पर धरना भी दिया जाएगा।

सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार

अब सबकी नज़र इस बात पर है कि राज्य और केंद्र सरकार इस आंदोलन पर कैसी प्रतिक्रिया देती हैं। शिक्षा विभाग ने अब तक इस विषय पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मामले को संवेदनशील मानते हुए किसी समाधान की दिशा में बातचीत कर सकती है।

शिक्षकों का कहना है कि उनका उद्देश्य टकराव नहीं, बल्कि न्यायपूर्ण समाधान है। उनका मानना है कि एक शिक्षक की योग्यता उसकी परीक्षा से नहीं, बल्कि उसके अनुभव और योगदान से आंकी जानी चाहिए। दिल्ली में होने वाला यह प्रदर्शन न केवल TET नीति के विरोध का प्रतीक होगा, बल्कि शिक्षकों की एकजुटता और अधिकारों की लड़ाई का भी प्रतीक बनेगा।

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