जम्मू कश्मीर के लिए करीब 7 साल 4 महीने बाद एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक खबर आई है। रविवार देर रात केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा लिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार के गठन का रास्ता स्पष्ट हो गया है। यह विकास राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई दिशा दिखाता है।
नई सरकार का गठन
राष्ट्रपति शासन हटने के बाद अब यहां जल्द ही हाल के विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करने वाले उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार का गठन किया जाएगा। हाल ही में संपन्न हुए जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन जीत हासिल करने में सफल रहा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को इस गठबंधन का नेता चुना गया है और वे जम्मू कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे।
राष्ट्रपति की अधिसूचना
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239(A) के तहत जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के संदर्भ में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से पूर्व निरस्त किया जाता है।”
यह अधिसूचना स्पष्ट करती है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन अब समाप्त हो चुका है और राजनीतिक स्थिरता की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 352 में राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है। यदि राष्ट्रपति संतुष्ट नहीं होते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य कर रही है, तो वे संबंधित राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित करना आवश्यक होता है।
जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तो राज्य सरकार का नियंत्रण निर्वाचित मुख्यमंत्री के बजाय सीधे राष्ट्रपति के हाथ में आ जाता है। इस प्रक्रिया में केंद्र द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किए जाते हैं, और राज्यपाल के सलाहकारों की नियुक्ति की जाती है, जो सेवानिवृत्त सिविल सर्वेट होते हैं। इस स्थिति में राज्यपाल या उप-राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का इतिहास
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 31 अक्टूबर 2017 से लागू था। इससे पहले, पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार थी, जिसमें महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थीं। लेकिन बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद मुफ्ती सरकार गिर गई थी। इसके दो साल बाद, अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया।
इस बदलाव ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया था। राष्ट्रपति शासन के दौरान, राज्य में राजनीतिक गतिविधियां काफी सीमित थीं, और यह एक ऐसा समय था जब केंद्र सरकार का नियंत्रण राज्य पर अधिक था।
राजनीतिक स्थिरता की ओर कदम
अब जब राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है, तो जम्मू कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता की ओर एक नया कदम उठाया जा रहा है। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार का गठन राज्य के लोगों के लिए एक नई उम्मीद जगाता है। यह संभवतः जम्मू कश्मीर के विकास और कल्याण के लिए एक सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर हो सकता है।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का समाप्त होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जो राज्य की राजनीतिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकती है। यह निर्णय जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए नए अवसरों और विकास के रास्ते खोल सकता है। उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में नई सरकार का गठन उम्मीदों के साथ साथ चुनौतियों का भी सामना करेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि राज्य में राजनीतिक स्थिरता और विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
जम्मू कश्मीर के भविष्य के लिए यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है, और सभी की निगाहें अब नई सरकार के कार्यों और नीतियों पर रहेंगी। आशा की जाती है कि यह नई सरकार राज्य के लोगों के लिए विकास और कल्याण की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।