Manipur News: मणिपुर में राजनीतिक संकट गहराने के बाद, केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। यह निर्णय मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने के बाद लिया गया। रविवार को बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसके बाद, केंद्रीय सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया, जो अब राज्य में शासन के संचालन के लिए जिम्मेदार होगा।
भा.ज.पा. की कोशिशों के बावजूद गतिरोध बरकरार
मणिपुर में भाजपा के पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रभारी संबित पात्रा ने पार्टी विधायकों के साथ कई दौर की वार्ता की, लेकिन राज्य में राजनीतिक गतिरोध दूर नहीं हो सका। इन वार्ताओं का उद्देश्य राज्य में स्थिरता लाने और सरकार बनाने के प्रयासों को गति देना था। हालांकि, इन चर्चाओं के बावजूद कोई ठोस हल नहीं निकला और गतिरोध जस का तस बना रहा।
राज्यपाल से संबित पात्रा की मुलाकात
पिछले दो दिनों में भाजपा नेता संबित पात्रा ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से दो बार मुलाकात की। इन मुलाकातों का उद्देश्य मणिपुर की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करना और राज्य में सरकार के गठन के संभावनाओं को लेकर विचार-विमर्श करना था। हालांकि, इस चर्चा के बावजूद स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया, और अंत में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया गया।
केंद्र का कदम और आगामी चुनौतियाँ
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले ने राज्य में प्रशासनिक नियंत्रण की स्थिति को स्पष्ट किया है। राष्ट्रपति शासन के तहत, केंद्र सरकार राज्य में शासन का संचालन करेगी और राज्य के मामलों को केंद्र से नियंत्रित किया जाएगा। यह कदम मणिपुर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इससे राज्य में स्थिरता और शांति लाने के प्रयासों को नया दिशा मिल सकती है। हालांकि, आने वाले दिनों में मणिपुर की राजनीतिक स्थिति में सुधार के लिए कई चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं, जिनका सामना केंद्र और राज्य सरकार को करना होगा।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा और राष्ट्रपति शासन की घोषणा
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होना राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद, भाजपा के प्रयासों के बावजूद राज्य में राजनीतिक गतिरोध बना रहा, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने इस कदम को उठाया। अब राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह देखा जाएगा कि राज्य में क्या बदलाव आता है और आने वाले दिनों में मणिपुर में स्थिरता स्थापित हो पाती है या नहीं।