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Navratri पर प्रधानमंत्री मोदी का संदेश… ‘स्वदेशी का मंत्र’ और ‘GST बचत उत्सव’ से मिले नई ऊर्जा और विश्वास

Navratri 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि की शुरुआत पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस पर्व को साहस, संयम और संकल्प का प्रतीक बताया और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष रूप से उल्लेख किया।प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:“आप सभी को नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं। साहस, संयम और संकल्प के भक्ति-भाव से भरा यह पावन पर्व हर किसी के जीवन में नई शक्ति और नया विश्वास लेकर आए। जय माता दी!”

GST बचत उत्सव: नवरात्रि पर जनता को बड़ा तोहफा

पीएम मोदी ने नवरात्रि के साथ लागू हुई नई जीएसटी दरों को एक बड़ा “GST बचत उत्सव” करार दिया। इसके तहत 295 से अधिक रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स में कटौती की गई है, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी। यह कदम खासकर मध्यम वर्ग, किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए राहत भरा है।

जीएसटी में सस्ती होने वाली प्रमुख वस्तुएं:
दूध, दही, पनीर जैसे खाद्य पदार्थ
सूप-दउरा, पूजन सामग्री, मूर्तियां
टीवी, फ्रिज, स्कूटर और कारें
कृषि उपकरण और खाद
कपड़े और जूते
इन बदलावों से उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा और त्योहारों के समय खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
‘स्वदेशी का मंत्र’: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने नवरात्रि के इस अवसर को स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का भी माध्यम बनाया। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे त्योहारों के समय स्थानीय कारीगरों, दस्तकारों और उद्यमियों से बनी वस्तुओं को प्राथमिकता दें।

स्वदेशी अपनाने के लाभ

स्थानीय व्यापार और रोजगार को बढ़ावा
भारतीय कला, संस्कृति और कारीगरी का संरक्षण
आत्मनिर्भर भारत मिशन को नई ऊर्जा
पीएम मोदी ने कहा, “हम सभी को ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए। त्योहार केवल भक्ति का समय नहीं, बल्कि भारत को आर्थिक रूप से मजबूत करने का भी अवसर हैं।”

नवरात्रि: केवल पूजा नहीं, भारत के लिए प्रेरणा

प्रधानमंत्री ने नवरात्रि को केवल धार्मिक पर्व के रूप में नहीं, बल्कि आत्मबल, आस्था और आत्मनिर्भरता की प्रतीक बताया। उन्होंने अपने संदेश में यह स्पष्ट किया कि अब भारत का हर पर्व सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ भी जुड़ा हुआ है।इस संदर्भ में उन्होंने जीएसटी दरों में कटौती को सीधे आम जनता की क्रय शक्ति से जोड़ते हुए, इसे ‘भक्ति और बचत’ का संगम बताया।

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