कुशीनगर में अस्पताल बिल के लिए बेटे को बेचने की घटना
Up News: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुई दिल दहला देने वाली घटना पर रविवार को अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। एक व्यक्ति को अस्पताल का बिल चुकाने के लिए अपने बेटे को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या अब देश में जिंदा रहने के लिए इंसानों को खरीदना और बेचना पड़ जाएगा।
अस्पताल ने पैसे न चुकाने पर जच्चा-बच्चा को रोका
हरीश पटेल नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को प्रसव के लिए कुशीनगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन, जब वह अस्पताल की फीस भरने में असमर्थ रहे, तो अस्पताल ने उनकी पत्नी और नवजात शिशु को डिस्चार्ज करने से मना कर दिया। इस परिस्थिति में हरीश ने एक फर्जी गोद लेने के समझौते के तहत अपने बेटे को कुछ हजार रुपये में बेचने का निर्णय लिया।
घटना से फैला आक्रोश, पुलिस ने की गिरफ्तारियां
यह घटना स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश का कारण बनी। सूचना मिलने पर पुलिस ने शनिवार को कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें बच्चा लेने वाला दंपत्ति भी शामिल था। घटना ने सरकारी व्यवस्था की नाकामी को भी उजागर किया है। प्रियंका गांधी ने इस पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर गहरी नाराजगी जताई।
प्रियंका गांधी का सवाल: कहां हैं सरकारी योजनाएं?
प्रियंका गांधी ने अपने पोस्ट में कहा कि इस घटना में अस्पताल और सरकारी तंत्र दोनों की लापरवाही और क्रूरता दिखती है। उन्होंने कहा, “हरीश पटेल को अपनी नवजात बच्ची और पत्नी को अस्पताल से घर लाने के लिए अपने बेटे को 20,000 रुपये में बेचना पड़ा। इसके लिए बाकायदा तहसील में स्टांप भी बनवाया गया और पुलिस ने उनसे 5,000 रुपये की रिश्वत भी ली।”
गरीब परिवारों पर माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का कर्ज
प्रियंका गांधी ने यह भी बताया कि हरीश के परिवार पर पहले से कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का कर्ज था, जिसे वह चुका नहीं पा रहे थे। इन कंपनियों द्वारा गरीब परिवारों से 30 से 40 प्रतिशत तक ब्याज वसूला जा रहा है, जिससे वे भारी दबाव में हैं।
सरकार की योजनाओं पर उठाए सवाल
प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया, “कहां हैं सरकार की योजनाएं? कहां है स्वास्थ्य विभाग? किसके लिए यह सरकार चल रही है? क्या अब हमारे देश में इंसानों को जिंदा रहने के लिए एक-दूसरे को खरीदना-बेचना पड़ेगा?”
इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी तंत्र की विफलताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, और समाज में फैली गरीबी और असमानता का चेहरा उजागर किया है।