Bangladesh: लोकसभा में शुक्रवार को बांग्लादेश में हो रही हिंसा का मुद्दा उठा, जिसमें भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा। ठाकुर ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री को बधाई तो दी, लेकिन वहां हिंदुओं पर हो रही हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया। ठाकुर ने यह भी कहा कि गाजा मुद्दे पर बड़ी बातें करने वाले राहुल गांधी ने बांग्लादेश की हिंसा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री को बधाई दी
अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि बांग्लादेश में हाल ही में जो हिंसा हुई है, उससे सभी चिंतित हैं। सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में यह कहा है कि वहां रह रहे अपने लोगों की चिंता करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री को बधाई दी और वहां हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात की। लेकिन ठाकुर ने यह सवाल उठाया कि जब विपक्ष के नेता और कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने बधाई दी, तो उन्होंने वहां के हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में कुछ भी क्यों नहीं कहा?
अमेरिकी सांसदों ने भी बांग्लादेश की हिंसा की निंदा की
बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी सामने आई है। अमेरिकी सांसद रिच मैककॉर्मिक ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने की खबरों पर चिंता जताई है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद आर खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति ने भी हिंसा की कड़ी निंदा की है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि शपथ लेने वाली अंतरिम सरकार को बांग्लादेश में अशांति पर काबू पाना चाहिए और दोषियों को दंड दिलाना चाहिए। उन्होंने सभी सरकारी अधिकारियों, नए प्रशासन और पुलिस प्रमुख से हिंसा खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपील की है।
भारत में हिंदूवादी संगठनों और विपक्ष की चुप्पी पर सवाल
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की समस्या को विश्व हिंदू परिषद ने पहले ही उठाया था। केंद्र सरकार ने भी कूटनीतिक तरीके से बांग्लादेश को संदेश दिया कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। हालांकि, इस मसले पर विपक्षी नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के किसी भी नेता ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर न तो कोई बयान दिया और न ही सोशल मीडिया पर कोई ट्विट किया। राहुल गांधी, जो चुनावों के दौरान अपनी साफ्ट हिंदुत्व की छवि के लिए जाने जाते हैं, इस बार बांग्लादेश की हिंसा पर मौन रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी के तेजस्वी यादव और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्थिति भी इसी तरह की है। झारखंड, जहां बांग्लादेश के साथ प्रतिदिन का कारोबार होता है, वहां की स्थिति भी चिंताजनक है। बिहार की स्थिति भी काफी हद तक यही है। शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी के शरद पवार ने भी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
भारत की पारंपरिक प्रतिक्रिया और विपक्षी दलों की चुप्पी
भारत की परंपरा रही है कि वह जातिगत आधार पर होने वाली हिंसा की निंदा करता है, चाहे वह फिलिस्तीन-इजरायल का मुद्दा हो, कुर्दों की समस्याएं हों या मणिपुर की हिंसा। लगभग सभी सेक्यूलर दल ऐसी हिंसा की निंदा करते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर मौन रहने से विपक्षी दल सवालों के दायरे में आ गए हैं। इस स्थिति ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को आलोचना के घेरे में ला दिया है।