PM Modi Tribute Imam Hussain: आज मुहर्रम की दसवीं तारीख, जिसे आसुरा के नाम से जाना जाता है, इस्लामी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और पावन दिन में से एक है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) और उनके साथियों ने कर्बला की लड़ाई में शहादत देकर सच्चाई, न्याय और धार्मिकता की मिसाल कायम की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एक गहरा और प्रेरणादायक संदेश दिया है।
पीएम मोदी का संदेश: सत्य और न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को उनकी गहरी धार्मिकता और सत्य के प्रति अडिग रहने की प्रतिबद्धता बताया। उन्होंने कहा, “हजरत इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानियां हमें विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों पर अडिग रहने की सीख देती हैं। वे लोगों को कठिन समय में भी सत्य और न्याय के साथ खड़े रहने की प्रेरणा देते हैं।” पीएम मोदी ने इस संदेश के माध्यम से देशवासियों को सहिष्णुता, शांति और सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और सच्चाई की रक्षा करने की सामूहिक जिम्मेदारी का एहसास कराती है।
मुहर्रम के दिन ताजिए और जुलूस निकाले जाते हैं
मुहर्रम के इस पावन दिन पाकिस्तान, ईरान, भारत, इराक और कई अन्य देशों में बड़े पैमाने पर ताजिए निकाले जाते हैं। यह परंपरा हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की कर्बला में हुई शहादत की याद में निभाई जाती है। इस दिन लोग जुलूसों में शामिल होकर अपनी श्रद्धा और भावनाएं प्रकट करते हैं, मातम मनाते हैं और कर्बला की वीरता और बलिदान की कहानियां सुनते हैं। मस्जिदों और इमामबाड़ों में मजलिसों का आयोजन होता है, जहां हजरत इमाम हुसैन के बलिदान को याद करते हुए उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी जाती है।
मुहर्रम का धार्मिक और सामाजिक महत्व
मुहर्रम केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता, सब्र, इंसाफ और सत्य की राह पर चलने का प्रतीक भी है। यह दिन हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, हमें अपने सिद्धांतों और नैतिकता से समझौता नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही मुहर्रम सामाजिक एकता, भाईचारे और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का माध्यम भी है। इस दिन कई जगह लोग रोज़ा रखते हैं और जरूरतमंदों को दान देकर मानवीयता का संदेश फैलाते हैं।