UP Politics: समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज रविवार, 28 जुलाई को विधान सभा में नया नेता विरोधी दल चुन लिया है। इस पद के लिए माता प्रसाद पांडेय को चुना गया है। इस चयन के साथ ही सपा ने अपनी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को आगे बढ़ाने का इरादा व्यक्त किया है। पार्टी ने अगड़े वर्ग को अपने साथ लाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जैसा कि अखिलेश यादव ने पहले भी इस बात का संकेत दिया था।
पीडीए रणनीति में अगड़े वर्ग की भूमिका
सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि अखिलेश यादव ने पीडीए की रणनीति में अगड़े वर्ग को भी शामिल किया है। पिछले साल घोसी उपचुनाव में क्षत्रिय समाज के एक व्यक्ति को टिकट देकर उनकी जीत सुनिश्चित की गई थी, जो कि पीडीए की रणनीति का हिस्सा था। इसी तरह, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, अगड़ा और महिलाओं को टिकट देकर उनकी जीत सुनिश्चित की जाएगी। माता प्रसाद पांडेय की नियुक्ति भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
शिवपाल यादव का समर्थन और प्रतिक्रिया
शिवपाल यादव को विधान सभा में नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी न मिलने पर फखरुल चांद ने कहा कि माता प्रसाद पांडेय की नियुक्ति में शिवपाल यादव की पूरी सहमति है। चांद ने बताया कि शिवपाल यादव पार्टी के बड़े नेता हैं और वे माता प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में सरकार को घेरने में सहयोग करेंगे। उन्होंने पुष्टि की कि शिवपाल यादव का समर्थन पूरी तरह से माता प्रसाद पांडेय के साथ है।
विधायकों की बैठक और भविष्य की दिशा
चांद ने बताया कि आज विधायकों की बैठक में सभी ने अपने सुझाव दिए और अखिलेश यादव के फैसले का स्वागत किया। बैठक के बाद माता प्रसाद पांडेय के नाम की घोषणा की गई। चांद के अनुसार, माता प्रसाद पांडेय सपा के वरिष्ठ नेता हैं और पहले सपा सरकार में स्पीकर रह चुके हैं। उनके अनुभव से पार्टी को भविष्य में लाभ होगा और सपा को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।