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नेपाल में भीषण हिमस्खलन से तबाही, सात पर्वतारोहियों की मौत और कई लापता

नेपाल के उत्तरपूर्वी हिस्से में सोमवार को एक भयावह हिमस्खलन (Avalanche) ने भारी तबाही मचा दी। यह हादसा यालुंग री (Yalung Ri) नामक पर्वत पर हुआ, जिसकी ऊंचाई लगभग 5,630 मीटर है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई है, जबकि चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके अलावा, कई पर्वतारोही अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है।

हादसे की पृष्ठभूमि

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यह हिमस्खलन अचानक उस वक्त हुआ जब पर्वतारोही दल यालुंग री की ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहे थे।इलाके में बीते कुछ दिनों से लगातार भारी बर्फबारी और तेज़ हवाओं के कारण हालात पहले से ही जोखिम भरे थे।सोमवार सुबह मौसम कुछ साफ़ हुआ, तो कुछ टीमों ने चढ़ाई शुरू की, लेकिन दोपहर के बाद अचानक बर्फ की एक बड़ी परत टूटकर नीचे आ गिरी, जिससे पूरा क्षेत्र बर्फ के सैलाब में तब्दील हो गया
हादसे के वक्त कई स्थानीय गाइड और विदेशी पर्वतारोही पर्वत पर मौजूद थे।

राहत एवं बचाव अभियान

घटना की जानकारी मिलते ही नेपाल के गृह मंत्रालय और पर्वतारोहण विभाग ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया।नेपाल पुलिस, सेना और स्थानीय बचाव दल हेलिकॉप्टरों की मदद से प्रभावित इलाके में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।हालांकि, ऊँचाई, ठंड और तेज़ हवाओं के कारण बचाव कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं।घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज चल रहा है।लापता पर्वतारोहियों की तलाश जारी है, और स्थानीय प्रशासन ने आसपास के सभी चढ़ाई अभियानों को फिलहाल रोक दिया है।


यालुंग री पर्वत: पर्वतारोहियों का आकर्षण, अब बना खौफ

यालुंग री पर्वत नेपाल के सबसे लोकप्रिय पर्वतारोहण स्थलों में से एक माना जाता है।यह पर्वत रामेछाप जिले में स्थित है और अपनी खूबसूरती व कठिन चढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है।हर साल यहां कई स्थानीय और विदेशी पर्वतारोही रोमांच के लिए आते हैं।
लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ते मौसमीय अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के चलते इस क्षेत्र में हिमस्खलनों की घटनाएँ बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लेशियरों का अस्थिर होना और तापमान में हल्की वृद्धि भी ऐसी आपदाओं को बढ़ावा दे रही है।


विशेषज्ञों की चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर अब स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।ग्लेशियरों के पिघलने से बर्फ की संरचना कमजोर हो रही है, जिससे अचानक हिमस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में ऐसी घटनाएँ और अधिक बार हो सकती हैं, यदि ठोस पर्यावरणीय कदम नहीं उठाए गए।



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