उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट का शक्ति प्रदर्शन
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुंबई में आज शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच शक्ति प्रदर्शन देखने को मिलेगा। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट अपनी-अपनी दशहरा रैली आयोजित कर रहे हैं। जहां उद्धव ठाकरे गुट दादर के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में रैली करेगा, वहीं शिंदे गुट दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा।
दशहरा रैली का ऐतिहासिक महत्व
शिवसेना की दशहरा रैली की शुरुआत 1960 में हुई थी, जब पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे ने पहली बार इसे आयोजित किया था। तब से यह रैली शिवसेना की राजनीतिक रणनीति की आधारशिला रही है। दशहरा के दिन हर साल आयोजित होने वाली यह रैली पार्टी के लिए एक अहम आयोजन बन गया है, जहां से शिवसेना अपने विचारों और नीतियों का प्रचार करती रही है। बालासाहेब ठाकरे ने दशकों तक शिवाजी पार्क से अपने संदेश देशभर में फैलाए हैं, और यह स्थान शिवसेना की पहचान बन गया है।
संजय राउत का शिंदे गुट पर हमला
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे गुट पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दशहरा रैली का ऐतिहासिक महत्व सिर्फ बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना का है, जो शिवाजी पार्क में दशकों से आयोजित होती रही है। उन्होंने शिंदे गुट को “डुप्लीकेट शिवसेना” करार देते हुए कहा कि वे भाड़े के लोगों को रैली में लाएंगे। राउत ने आरोप लगाया कि शिंदे की पार्टी का जन्म गुजरात में हुआ है, और उसे महाराष्ट्र से नहीं बल्कि गुजरात से नियंत्रित किया जाता है।
राउत ने कहा, “शिवसेना की दशहरा रैली हमेशा महाराष्ट्र की संस्कृति और गौरव की प्रतीक रही है। शिंदे गुट को अपना कार्यक्रम सूरत, गुजरात में करना चाहिए और वहां पीएम मोदी और अमित शाह को बुलाना चाहिए। महाराष्ट्र में उनका कोई विशेष योगदान नहीं है।”
दोनों गुटों के टीजर और मुद्दे
दोनों शिवसेना गुटों ने अपनी-अपनी रैलियों के लिए टीजर जारी किए हैं। शिंदे गुट के टीजर में शिवसेना का प्रतीक बाघ दिखाया गया है और पार्टी के कांग्रेस से नाता तोड़ने को प्रमुखता से दर्शाया गया है। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट ने अपने टीजर में महाराष्ट्र के गौरव की रक्षा और “गद्दार” कहे जाने वाले बागी विधायकों की निंदा पर ध्यान केंद्रित किया है। यह रैली दोनों गुटों के लिए अपनी-अपनी नीतियों और विचारधारा को जनता तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण मंच होगी।
चुनाव से पहले बढ़ती हलचल
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है, और इससे पहले ये रैलियां चुनावी रणनीति के तहत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना के नियंत्रण को लेकर संघर्ष जारी है। दोनों गुट अपने-अपने समर्थन को मजबूत करने के लिए इन रैलियों का उपयोग कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे गुट जहां महाराष्ट्र की अस्मिता और गौरव पर जोर दे रहा है, वहीं शिंदे गुट ने पार्टी के पुराने मूल्यों को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया है। ये रैलियां महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं, क्योंकि आने वाले चुनावों में दोनों धड़े अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरे जोर-शोर से मैदान में हैं।
दोनों गुटों की दशहरा रैली केवल एक शक्ति प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को बदलने की एक अहम कड़ी हो सकती है। शिवसेना के दोनों धड़े अपनी-अपनी विचारधारा और नीतियों के माध्यम से जनता का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।