SpaDeX Docking Mission: भारत ने एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष उपलब्धि हासिल करते हुए अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन के तहत ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता प्राप्त की। इसके साथ ही, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया है जिसने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक डॉक किया है। यह उपलब्धि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई है और इसरो की टीम को गर्व का अनुभव हुआ है।
डॉकिंग तकनीक में भारत की सफलता
इसरो ने 12 जनवरी 2025 को अपने स्पैडेक्स मिशन के तहत पृथ्वी की कक्षा में दो उपग्रहों—चेजर और टारगेट—को एक दूसरे के करीब लाकर सफल डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की। इस मिशन के तहत दोनों उपग्रहों को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी तक लाया गया, और इसके बाद उन्हें आपस में जोड़ने में सफलता मिली। इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरे होने के साथ, भारत ने अंतरिक्ष में डॉकिंग की तकनीकी सफलता हासिल की और इस प्रकार चौथे देश के रूप में इस उपलब्धि को हासिल किया।
स्पैडेक्स मिशन की सफलता का महत्व
स्पैडेक्स मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक पल है। इस मिशन के माध्यम से प्रदर्शित की गई डॉकिंग तकनीक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Station) और चंद्रयान-4 मिशन के लिए अहम साबित होगी। इसके अलावा, यह तकनीक नासा की तरह भारत के अपने स्पेस स्टेशन की स्थापना में भी सहायक होगी। इस मिशन की सफलता अंतरिक्ष में मानव यात्राओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों को भेजने के प्रयासों को भी बल मिलेगा।
मिशन के प्रमुख पहलू और महत्व
स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C60 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत दो उपग्रहों का कुल वजन करीब 220 किलोग्राम था। इन उपग्रहों का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करना था, जो भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए आवश्यक है। इस मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, भारत को अंतरिक्ष में अपनी अग्रणी भूमिका को और मजबूती से स्थापित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी इसरो को बधाई
स्पैडेक्स मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह भारत के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर साबित होगी और भविष्य में और भी बड़ी सफलता की राह खोलेगी।