प्रदूषण में कमी को देखते हुए पाबंदियां हटाने का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में लागू ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत ग्रैप 4 पाबंदियां हटाने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय प्रदूषण के स्तर में गिरावट को ध्यान में रखते हुए लिया गया। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को अभी पाबंदियों का स्तर ग्रैप 2 से नीचे नहीं लाना चाहिए। कोर्ट ने CAQM से यह भी कहा कि वह ग्रैप 2 के साथ ग्रैप 3 की कुछ पाबंदियों को लागू रखने पर विचार करें। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को स्थिति की समीक्षा करने और आगे के लिए आदेश देने का निर्णय लिया है।
ग्रैप 4 पाबंदियों के तहत क्या प्रतिबंध थे?
18 नवंबर को प्रदूषण से निपटने के उपायों में ढीले रवैए को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में ग्रैप 4 के तहत पाबंदियां लागू करने का आदेश दिया था। इनमें निर्माण कार्यों पर रोक, गैर-जरूरी ट्रैकों के प्रवेश पर बैन और अन्य कई प्रतिबंध शामिल थे। इसके अतिरिक्त, स्कूलों को भी ऑनलाइन मोड में रखने के आदेश दिए गए थे, हालांकि बाद में इस पर ढील दी गई थी।
CAQM की रिपोर्ट और कोर्ट का फैसला
CAQM ने सुप्रीम कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रदूषण का स्तर घट रहा है और अब स्थिति यह बन चुकी है कि ग्रैप पाबंदियों को पूरी तरह से हटाया जा सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर से 4 दिसंबर तक के प्रदूषण स्तर की समीक्षा करते हुए कहा कि पिछले चार दिनों में ही AQI स्तर 300 से नीचे आ पाया है, इसलिए पाबंदियों को पूरी तरह से हटाना अभी संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM को ग्रैप 4 पाबंदियों को हटाने की इजाजत दी, लेकिन साथ ही यह निर्देश भी दिया कि पाबंदियों को ग्रैप 2 से नीचे नहीं लाया जाए। जजों ने यह भी कहा कि ग्रैप 2 के साथ कुछ पाबंदियां ग्रैप 3 से भी लागू रखी जाएं। कोर्ट ने प्रदूषण की समस्या के स्थाई समाधान की आवश्यकता जताई और कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण उत्पन्न करने वाले सभी कारकों पर विचार कर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
दिल्ली सरकार को फटकार और मजदूरों को मुआवजा देने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्माण मजदूरों को मुआवजा देने में ढीले रवैए के लिए आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद मजदूरों को समय पर मुआवजा नहीं दिया। दिल्ली सरकार ने बताया कि उसने 90,693 मजदूरों को 2000 रुपए का मुआवजा दिया है, और रिवेरिफिकेशन के बाद इन मजदूरों को 6000 रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि 6000 रुपए का मुआवजा तुरंत जारी किया जाए, अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि वह निर्माण मजदूरों की पहचान और उनके रजिस्ट्रेशन में तत्परता दिखाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह सही नहीं है कि सरकार केवल 90,693 मजदूरों को ही वास्तविक मानकर बैठी हुई है, जबकि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के गिरते स्तर को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप 4 पाबंदियां हटाने की अनुमति दी है, लेकिन पाबंदियों का स्तर ग्रैप 2 से नीचे नहीं लाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, दिल्ली सरकार से निर्माण मजदूरों को समय पर मुआवजा देने का भी सख्त निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने प्रदूषण के स्थाई समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया और दिल्ली सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।