Rao IAS Coaching: शनिवार, 27 जुलाई की शाम दिल्ली में हुई भारी बारिश के कारण राजेंद्र नगर स्थित राव आईएस कोचिंग इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में पानी भर गया। इस दुर्घटना में यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हो गई, जिनमें दो छात्राएं और एक छात्र शामिल हैं। घटना के बाद यह जानकारी सामने आई है कि राव आईएस कोचिंग इंस्टीट्यूट को 9 जुलाई 2024 को ही फायर एनओसी मिली थी।
नियमों का उल्लंघन
बिल्डिंग में दो बेसमेंट थे, जिन्हें एनओसी के अनुसार स्टोरेज के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति थी। लेकिन सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए बेसमेंट को लाइब्रेरी के रूप में उपयोग किया जा रहा था। इस हादसे में जान गंवाने वाले तीनों छात्रों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया है।
मृतकों की पहचान
हादसे में मारे गए छात्रों में नेविन डाल्विन, जो कि केरल का रहने वाला था और पिछले आठ महीनों से यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। अन्य मृत छात्राओं में तानिया सोनी (25), विजय कुमार की पुत्री और श्रेया यादव (25), राजेंद्र यादव की पुत्री शामिल हैं। श्रेया यादव ने जून/जुलाई में ही कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया था और वह यूपी के अंबेडकरनगर जिले की रहने वाली थी। श्रेया यादव के चाचा धर्मेंद्र यादव राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ही मौजूद हैं। वहीं तानिया सोनी के माता-पिता तेलंगाना से दिल्ली पहुंचे हैं और शव को देखने की अनुमति न मिलने पर थाने चले गए।
प्रशासनिक कार्रवाई और जांच
डीसीपी हर्षवर्धन ने बताया कि बेसमेंट से तीन शव बरामद किए गए हैं और उनकी पहचान हो चुकी है। पुलिस ने इस मामले में राजेंद्र नगर थाने में संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया है और कोचिंग सेंटर बिल्डिंग सिस्टम के मैनेजमेंट और ड्रेनेज सिस्टम से जुड़े दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। मामले की जांच जारी है।
हादसे के समय की स्थिति
जांच में पाया गया है कि बेसमेंट में लाइब्रेरी थी, जहां आमतौर पर 30 से 35 बच्चे रहते थे। अचानक पानी तेजी से भरने लगा, जिससे छात्र बेसमेंट में बेंच के ऊपर खड़े हो गए। पानी के दबाव से बेसमेंट के कांच टूटने लगे, जिससे यह हादसा हुआ।
कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा नियमों के पालन की आवश्यकता
इस हादसे ने कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा नियमों के पालन की आवश्यकता को उजागर किया है। प्रशासन द्वारा मामले की गहन जांच की जा रही है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।