दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे आतंकियों की साजिश का जाल गहराता जा रहा है। जांच एजेंसियों को इस हमले का तुर्किए कनेक्शन मिलने के संकेत मिले हैं। शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो आतंकी, उमर नबी और मुजम्मिल, न केवल तुर्किए गए थे, बल्कि वहां उन्होंने जैश के हैंडलर्स से मुलाकात भी की थी।
यह खुलासा दिल्ली पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के लिए बड़ा सुराग साबित हुआ है। माना जा रहा है कि इस हमले की रूपरेखा तुर्किए में ही तैयार की गई थी और इसका उद्देश्य भारत की राजधानी को 26/11 की तर्ज पर दहलाना था।
सैन्य ग्रेड विस्फोटक से हुआ धमाका, पाकिस्तानी संलिप्तता के संकेत
लाल किले के पास हुए धमाके की फॉरेंसिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि इसमें मिलिट्री ग्रेड एक्सप्लोसिव (सैन्य ग्रेड विस्फोटक) का इस्तेमाल किया गया था। इस तरह के विस्फोटक आमतौर पर पाकिस्तानी सेना या उससे जुड़े आतंकी नेटवर्क के पास ही पाए जाते हैं।
इससे सुरक्षा एजेंसियों को यह शक और गहरा हो गया है कि धमाके में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद का सीधा हाथ हो सकता है। धमाके में इस्तेमाल हुआ विस्फोटक अत्याधुनिक तकनीक वाला था, जिससे स्पष्ट होता है कि यह किसी प्रशिक्षित आतंकी समूह का काम था।
दिल्ली-एनसीआर में सीरियल ब्लास्ट की साजिश
जांच में यह भी सामने आया है कि उमर नबी और मुजम्मिल ने केवल लाल किले को ही निशाना नहीं बनाया था, बल्कि उनकी योजना दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर एक साथ धमाके करने की थी। दोनों आतंकियों ने बीते महीनों में दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के कई प्रमुख इलाकों की रेकी (सर्वेक्षण) की थी।
मूल योजना के मुताबिक, 26 जनवरी के अवसर पर जब देशभर में सुरक्षा बलों का ध्यान गणतंत्र दिवस समारोह पर होता, तब इन धमाकों को एक साथ अंजाम देना था। हालांकि, जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, “आतंकियों की तैयारी पूरी नहीं हो सकी और स्थानीय सहयोग नहीं मिलने के कारण उन्हें योजना रद्द करनी पड़ी।”
लाल किला धमाका — हताशा में किया गया हमला
एजेंसियों का मानना है कि चूंकि उनकी बड़ी साजिश अधूरी रह गई थी, इसलिए उमर और मुजम्मिल ने हताशा में लाल किले के बाहर विस्फोट किया, ताकि अपने नेटवर्क को सक्रिय बनाए रखने का संदेश भेजा जा सके।
धमाके में भले ही बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इससे यह साबित हुआ कि आतंकी नेटवर्क दिल्ली में सक्रिय है और बड़े हमले की तैयारी कर चुका था।
लाल इकोस्पोर्ट कार से मिला बड़ा सुराग
धमाके के बाद पुलिस ने फरीदाबाद से लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट कार बरामद की है, जिसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए खरीदा गया था। माना जा रहा है कि इसी कार का इस्तेमाल रेकी और विस्फोटक सामग्री की ढुलाई के लिए किया गया था। कार से कुछ डिजिटल डिवाइस और नक्शे भी बरामद किए गए हैं।
तुर्किए से जुड़ते सबूत और इंटरनेशनल नेटवर्क
जांच एजेंसियों को मिले डिजिटल साक्ष्य बताते हैं कि उमर और मुजम्मिल पिछले साल तुर्किए गए थे, जहां उनकी मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर्स से हुई थी। ये मुलाकातें आतंकी प्रशिक्षण और फंडिंग के लिए हुई थीं। एजेंसियों के अनुसार, तुर्किए अब कई इस्लामी आतंकी संगठनों के लिए ट्रांजिट हब के रूप में काम कर रहा है।
जांच अधिकारी का कहना है, “ईमेल, कॉल रिकॉर्ड और बैंक लेनदेन के सबूत साफ बताते हैं कि इस साजिश के पीछे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, जो भारत में अस्थिरता फैलाना चाहता है।”
आगे की जांच और सतर्कता बढ़ाई गई
दिल्ली पुलिस, एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो अब इस मामले में विदेश मंत्रालय के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय इनपुट्स जुटा रही हैं। राजधानी के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पुलिस लगातार सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
एजेंसियों का कहना है कि यह मामला केवल एक धमाका नहीं बल्कि एक बड़े आतंकी नेटवर्क की चेतावनी है, जो भारत को अस्थिर करने की कोशिश में लगा है।

