Uttarakhand UCC News:उत्तराखंड ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू कर दिया है। इसके साथ ही, उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने यह महत्वपूर्ण कानून लागू किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में इस अवसर पर कई राज्य मंत्री और विधायक भी मौजूद थे। UCC लागू होने से राज्य में सामाजिक और कानूनी बदलाव आएंगे, जिनमें विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के नए नियम शामिल होंगे।
UCC के तहत लागू होने वाले बदलाव
समान नागरिक संहिता के तहत, सभी धर्मों और समुदायों के लोग अब एक समान कानून के तहत आएंगे। इस पहल का उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक भेदभाव को समाप्त करना और समानता स्थापित करना है। यूसीसी लागू होने के बाद विवाह और तलाक से जुड़ी प्रक्रियाओं में एक समान नियम लागू होंगे। इससे राज्य में कुप्रथाएं जैसे हलाला, इद्दत, बाल विवाह और बहुविवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा। इसके अलावा, विवाह के लिए न्यूनतम आयु सीमा भी तय कर दी गई है, जो लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल होगी।
यूसीसी पोर्टल का शुभारंभ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर यूसीसी पोर्टल का भी उद्घाटन किया, जो नागरिकों को UCC से संबंधित प्रक्रियाओं और नियमों की जानकारी प्रदान करेगा। इस पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों को इस नए कानून के बारे में जागरूक करना और उनके लिए जानकारी को सरल और सुलभ बनाना है।
मुख्यमंत्री धामी का बयान और यूसीसी का उद्देश्य
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह पल उनके लिए बहुत भावुक है, क्योंकि अब से उत्तराखंड में सभी जातियों और धर्मों की महिलाओं को समान न्याय मिलेगा। उन्होंने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जो वादा किया गया था, वह आज पूरा हो गया है। सीएम ने स्पष्ट किया कि UCC का उद्देश्य किसी विशेष धर्म या समुदाय को टार्गेट करना नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करना है। उन्होंने यह भी बताया कि संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों को पहले से ही संरक्षित किया गया है, इसलिए उन्हें इस कानून से बाहर रखा गया है।
संपत्ति अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप पर नए बदलाव
UCC के लागू होने के बाद बच्चों के संपत्ति अधिकारों में भी महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। अब बच्चों को संपत्ति पर समान अधिकार मिलेगा, चाहे वे लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे हों। इसके अतिरिक्त, विवाह और तलाक दोनों प्रक्रियाओं में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, जिससे कानूनी प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित हो सकेंगी।