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नेपाल में राजशाही की पुनर्स्थापना की मांग पर बवाल

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही को फिर से स्थापित करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन समय के साथ हिंसक रूप ले गया, जिसके परिणामस्वरूप दो लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य लोग घायल हो गए। इस घटनाक्रम के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपात बैठक बुलाकर स्थिति का जायजा लिया और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

प्रदर्शन और हिंसा की शुरुआत

शुक्रवार को नेपाल के विभिन्न हिस्सों में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए। इन प्रदर्शनकारियों का मुख्य उद्देश्य नेपाल में वर्तमान गणराज्य व्यवस्था को समाप्त करके फिर से राजशाही व्यवस्था लागू करना था। प्रदर्शन initially शांतिपूर्वक था, लेकिन समय के साथ यह हिंसक रूप में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प

प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और उनकी हिंसक गतिविधियों को देखते हुए पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले फेंके। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें तेज हो गईं, जिसके चलते स्थिति और भी बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि वे पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश करने लगे। यह संघर्ष बहुत ही उग्र रूप ले गया, और स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी।

काठमांडू में सेना की तैनाती

जैसे ही स्थिति बिगड़ी, काठमांडू में नेपाली सेना को तैनात किया गया। सेना ने अपनी सुरक्षा बढ़ाई और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कदम उठाए। काठमांडू के कई हिस्सों में स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई थी, और नागरिकों में भय का माहौल था। सेना ने जल्द ही स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन हिंसा में बढ़ोतरी होने के कारण सेना की तैनाती जरूरी हो गई।

दो लोगों की मौत और 30 घायल

इस हिंसक संघर्ष के परिणामस्वरूप दो लोग अपनी जान गंवा बैठे, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हो गए। घायल हुए व्यक्तियों में प्रदर्शनकारी और पुलिस दोनों शामिल थे। अस्पतालों में घायल व्यक्तियों का इलाज जारी था, और पुलिस मामले की जांच कर रही थी। यह घटना नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल की गहरी छाप छोड़ने वाली थी, क्योंकि यह दर्शाता है कि देश में राजशाही के समर्थन में एक मजबूत आंदोलन उभर सकता है।

पीएम ओली की आपात बैठक

नेपाल की स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक आपात बैठक बुलाई। बैठक में देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति, कानून-व्यवस्था की स्थिति और हिंसा के बाद के कदमों पर चर्चा की गई। पीएम ओली ने सुरक्षा बलों को निर्देशित किया कि वे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए कठोर कदम उठाएं। सरकार ने इस हिंसा के बाद शांति स्थापित करने और देश में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में ठोस प्रयास करने की बात की है।

यह घटना नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक असंतोष को बढ़ा सकती है, और इससे राजशाही के समर्थकों और गणराज्य के पक्षधरों के बीच विवाद और बढ़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम ने नेपाल के भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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