Us Japan Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापानी ऑटोमोबाइल उद्योग को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब जापान से आयातित गाड़ियों पर टैरिफ 27.5% से घटाकर 15% कर दिया गया है। यह फैसला अमेरिका-जापान के बीच जुलाई में हुए व्यापार समझौते को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।यह निर्णय दोनों देशों के बीच कई महीनों से चल रही बातचीत के बाद लिया गया है। यह बदलाव इस महीने के अंत तक प्रभाव में आ सकता है, जबकि कुछ टैरिफ राहत 7 अगस्त से रेट्रोएक्टिव (पिछली तारीख से लागू) मानी जाएगी।
जापानी ऑटो इंडस्ट्री को बड़ी राहत
इस फैसले से टोयोटा, होंडा, निसान जैसी प्रमुख जापानी कंपनियों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलेगी। टोयोटा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “हमारी लगभग 80% गाड़ियां अमेरिका में ही बनती हैं, लेकिन टैरिफ में कमी से स्पष्टता और स्थायित्व मिलेगा।”ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए पुराने टैरिफ के कारण जापानी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उदाहरण के लिए, टोयोटा को करीब 10 अरब डॉलर का झटका लगा था। अब इस नई नीति से उनकी स्थिति सुधरने की उम्मीद है।
जापान बढ़ाएगा अमेरिका से कृषि उत्पादों की खरीद
इस व्यापार समझौते के अंतर्गत जापान अमेरिका से चावल की खरीद 75% तक बढ़ाएगा। इसके साथ ही, वह 8 अरब डॉलर के अन्य कृषि उत्पाद – मक्का, सोयाबीन, उर्वरक और बायोएथनॉल – भी खरीदेगा।हालांकि जापान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने घरेलू कृषि क्षेत्र को नुकसान नहीं होने देगा और हर कदम संतुलित तरीके से उठाएगा।
अमेरिका में 550 अरब डॉलर का जापानी निवेश
ट्रंप के आदेश में यह भी कहा गया है कि जापान अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करेगा। यह निवेश इक्विटी, लोन और सरकारी गारंटी के माध्यम से होगा और अमेरिकी सरकार द्वारा चुने गए परियोजनाओं पर केंद्रित होगा।इसके अतिरिक्त, जापान 100 बोइंग विमान खरीदेगा और अमेरिकी कंपनियों के साथ रक्षा खर्च को सालाना 14 अरब से बढ़ाकर 17 अरब डॉलर करेगा।
दोनों देशों के व्यापार संबंध होंगे और मजबूत
2024 में अमेरिका और जापान के बीच कुल 230 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें जापान को 70 अरब डॉलर का अधिशेष प्राप्त हुआ। इस समझौते से यह अधिशेष और व्यापारिक संतुलन अधिक स्थिर हो सकता है।इस नए समझौते के तहत जापान को चिप्स, दवाओं और कमर्शियल विमानों पर न्यूनतम या शून्य टैरिफ मिलेगा। इससे जापान की हाई-टेक और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।

