उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी-अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। इस राजनीतिक माहौल में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बटोंगे तो कटोगे” बयान ने सियासी गरमा-गर्मी को बढ़ा दिया है। सपा सांसद डिंपल यादव ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
डिंपल यादव ने मैनपुरी में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान लोगों का ध्यान भटकाने की एक कोशिश है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश की जनता अच्छी तरह जानती है कि ‘बटोंगे तो कटोगे’ जैसे बयान महज एक राजनीतिक रणनीति है। आने वाले समय में ऐसे बयानों की बौछार होती रहेगी।”
रोजगार और सुरक्षा की चिंता
डिंपल ने स्पष्ट किया कि युवाओं को रोजगार चाहिए, महिलाओं और लड़कियों को सुरक्षा की आवश्यकता है, और किसानों को उर्वरक की दरकार है। उन्होंने कहा, “इस तरह के बयानों का मतदाताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह सरकार की नकारात्मक सोच को दर्शाता है, जो लोगों को बांटने पर आमादा है।”
उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए यह भी कहा कि पार्टी ने लोकसभा चुनावों में सभी सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन परिणाम सबके सामने हैं।
अखिलेश यादव का बयान
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “आपको कंफ्यूज नहीं होना है, क्योंकि यह नारा एक लैब में तैयार किया गया है।” उन्होंने योगी आदित्यनाथ की छवि को देखते हुए कहा कि अगर वह कहते हैं ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति है।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि यह नारा पीडीए परिवार के लिए नहीं है, बल्कि इसे उनके कार्यकर्ताओं को बांटने से रोकने के लिए कहा जा रहा है।
राजनीतिक माहौल
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव को लेकर सियासत और भी गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री के बयान ने समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का एक नया दौर शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
सीएम योगी का बयान और उसके खिलाफ उठ रही प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल कितना तीव्र है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि उपचुनाव में कौन सी पार्टी अपनी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू कर पाती है। सपा और भाजपा दोनों ही इस चुनाव को लेकर अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हैं, और जनता की अपेक्षाएं भी दोनों पक्षों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।