उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस बार विपक्षी गठबंधन “इंडिया” (I.N.D.I.A. Alliance) एक बड़ा और सोचा-समझा दांव चलने की तैयारी में है। रणनीति के तहत गठबंधन किसी **गैर-कांग्रेसी चेहरे** को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकता है, जिससे व्यापक विपक्षी एकता कायम की जा सके और भाजपा को कड़ी चुनौती दी जा सके।
राहुल गांधी के आवास पर हुई बैठक
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आवास पर इंडी गठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जिसमें प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में यह स्पष्ट संकेत मिला कि इस बार गठबंधन एकजुट होकर उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहता है। चर्चा के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता **मार्गरेट अल्वा** का नाम भी सामने आया, जिन्हें पिछली बार भी विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाया गया था।
टीएमसी की असहमति और गठबंधन में मतभेद
हालांकि, इस बार टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने मार्गरेट अल्वा के नाम पर अपनी हिचकिचाहट जाहिर की है। टीएमसी की ममता बनर्जी चाहती हैं कि उम्मीदवार ऐसा हो जो न केवल सर्वस्वीकार्य हो, बल्कि क्षेत्रीय दलों के लिए भी स्वीकार्य हो। ऐसे में किसी **गैर-कांग्रेसी** उम्मीदवार के नाम पर सहमति बन सकती है, जिससे यह संदेश भी जाए कि यह चुनाव केवल कांग्रेस की लड़ाई नहीं, बल्कि समूचे विपक्ष की रणनीतिक लड़ाई है।
चुनाव में आंकड़ों की अहम भूमिका
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सांसदों द्वारा किया जाता है। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत भले ही हो, लेकिन विपक्ष यदि एकजुट हो जाए, तो मुकाबला रोचक बन सकता है। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन ऐसा चेहरा लाना चाहता है जो तमाम विपक्षी दलों को साथ लाने में सक्षम हो।
गठबंधन की आगे की रणनीति
इंडी गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक, अंतिम निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाएगा। सभी दलों को विश्वास में लेने के बाद उम्मीदवार के नाम की घोषणा की जाएगी। कोशिश यह भी है कि भाजपा के खिलाफ वोटों का बंटवारा न हो और विपक्ष एक समान मंच से चुनाव लड़े।

