Yoga Day 2025: 21 जून 2025 को 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर भारत ने एक बार फिर दुनिया को अपनी योग परंपरा और एकता का अद्भुत परिचय दिया। देशभर में लाखों लोगों ने योगाभ्यास किया, लेकिन इस बार सबसे खास उपलब्धि रही गुजरात और आंध्र प्रदेश की। इन दोनों राज्यों ने योग को लेकर दो-दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए।
2121 लोगों ने एक साथ किया भुजंगासन
गुजरात के वडनगर स्थित शर्मिष्ठा झील पर आयोजित एक भव्य योग कार्यक्रम में 2,121 प्रतिभागियों ने एक साथ भुजंगासन किया और 2 मिनट 9 सेकंड तक इस मुद्रा को बनाए रखा। यह रिकॉर्ड पहले 250 लोगों के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन प्रतिभागियों की संख्या 2,184 रही, जिनमें से 2,121 लोगों ने नियमों का पालन करते हुए इस योगासन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक रिचर्ड स्टनिंग ने इस रिकॉर्ड की पुष्टि की और सभी प्रतिभागियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का क्षण है।गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस ऐतिहासिक सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि यह न केवल गुजरात, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।भुजंगासन के लाभों पर भी उन्होंने जोर दिया, जिसमें पीठ की मजबूती, फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि और हड्डियों का लचीलापन शामिल हैं।
तीन लाख लोगों ने एक साथ किया योग
वहीं दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश में भी योग दिवस पर ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में राज्यभर में करीब 2.45 करोड़ लोगों ने योग सत्र के लिए पंजीकरण कराया।विशाखापत्तनम में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में तीन लाख से अधिक लोगों ने एक साथ योग कर नया रिकॉर्ड बना दिया। यह अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक योगाभ्यास था, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
आदिवासी छात्रों का शानदार प्रदर्शन
इतना ही नहीं, आंध्र प्रदेश के लगभग 22,000 आदिवासी छात्रों ने एक और रिकॉर्ड बनाते हुए 108 मिनट में 108 सूर्य नमस्कार किए। यह उपलब्धि न केवल शारीरिक क्षमता का परिचायक है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय की भागीदारी और अनुशासन का भी उदाहरण है।
भारत ने फिर दिखाई योग शक्ति
इन रिकॉर्ड्स के माध्यम से भारत ने पूरी दुनिया को यह दिखाया कि योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। गुजरात और आंध्र प्रदेश की ये ऐतिहासिक उपलब्धियां आने वाले वर्षों के लिए प्रेरणा बनेंगी और भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर और अधिक सशक्त करेंगी।