जोमैटो को GST डिपार्टमेंट से बड़ा टैक्स नोटिस
भारत की प्रमुख फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो को Goods and Services Tax (GST) विभाग से 803 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस प्राप्त हुआ है। यह नोटिस वर्ष 2019 से 2022 के बीच की अवधि के लिए जारी किया गया है और इसमें जुर्माना और ब्याज भी शामिल है। इस नोटिस ने एक बार फिर से फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स और उनके द्वारा वसूली जाने वाली डिलीवरी फीस पर टैक्स के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। जोमैटो ने इस नोटिस के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है, क्योंकि कंपनी के अनुसार, यह टैक्स का निर्धारण गलत तरीके से किया गया है।
GST कानून के तहत टैक्स का दायरा
GST कानून के अनुसार, फूड डिलीवरी सेवाओं को 18% टैक्स के दायरे में लाया गया है। सरकार का मानना है कि जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स, जो ग्राहकों से डिलीवरी शुल्क (Service Fee) वसूलते हैं, उन्हें उस पर टैक्स का भुगतान करना चाहिए। जीएसटी अधिकारी डिलीवरी को भी एक सेवा मानते हैं और उनका कहना है कि जोमैटो ने जो डिलीवरी फीस एकत्र की, वह टैक्स के अधीन है। इसी आधार पर, 2019 से 2022 तक जोमैटो द्वारा एकत्रित डिलीवरी शुल्क पर टैक्स की मांग की गई है।
जोमैटो और अन्य फूड डिलीवरी कंपनियों का पक्ष
वहीं, जोमैटो और अन्य फूड डिलीवरी कंपनियों का कहना है कि वे ग्राहकों से जो डिलीवरी शुल्क लेते हैं, वह पूरी तरह से डिलीवरी पार्टनर को दिया जाता है। कई मामलों में, ग्राहकों से कोई डिलीवरी शुल्क नहीं लिया जाता या फिर डिस्काउंटेड शुल्क लिया जाता है, जबकि डिलीवरी पार्टनर को किलोमीटर के आधार पर भुगतान किया जाता है। इन कंपनियों का कहना है कि यह अतिरिक्त बोझ वे खुद उठाती हैं और इसीलिए डिलीवरी शुल्क पर टैक्स का भुगतान करना उचित नहीं है। कंपनियों का तर्क है कि वे केवल एक माध्यम (intermediary) हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ रेस्टोरेंट और ग्राहक के बीच एक पुल का काम करना है।
1 जनवरी 2022 से नए नियम
1 जनवरी 2022 से स्विगी, जोमैटो जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों को रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले GST कलेक्ट करने और उस पर टैक्स का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि, डिलीवरी फीस पर टैक्सेशन की स्थिति अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है। इस मुद्दे को लेकर उद्योग संगठन पहले भी जीएसटी काउंसिल से स्पष्टीकरण की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई निर्णायक हल नहीं निकला है।
जोमैटो के लाभ और नोटिस का असर
जोमैटो ने वित्त वर्ष 2024 में 351 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनी ने 429 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। हालांकि, अब यह नोटिस कंपनी के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आया है। पिछले साल दिसंबर में भी जोमैटो को 326.8 करोड़ रुपये का एक और नोटिस मिला था, और अब यह नया टैक्स डिमांड नोटिस उसे और अधिक परेशान कर रहा है।इस पूरी स्थिति से यह स्पष्ट है कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स और जीएसटी अधिकारियों के बीच टैक्सेशन के मुद्दे पर अभी भी असहमति बनी हुई है। फिलहाल, जोमैटो और अन्य कंपनियों की ओर से इस मामले में कानूनी अपील की जा रही है और उद्योग संगठनों द्वारा जीएसटी काउंसिल से स्पष्टता की उम्मीद जताई जा रही है। इस मुद्दे पर आगे आने वाले निर्णय फूड डिलीवरी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।