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मणिपुर में हिंसा और असहमति के बीच तनाव: सुरक्षा बलों द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई और प्रदर्शन

मणिपुर में उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई

मणिपुर में हाल के दिनों में हिंसा और अस्थिरता ने फिर से राज्य को संकट के कगार पर खड़ा कर दिया है। 10 उग्रवादियों को सुरक्षा बलों ने मारा, जिसके बाद उग्रवादियों ने राहत शिविर से छह नागरिकों का अपहरण कर लिया। इस घटना के बाद से राज्य में स्थिति और भी बिगड़ गई। दो दिन बाद, इन अपहृत नागरिकों में से एक महिला और दो बच्चों के शव बरामद किए गए, जिससे मणिपुर में हिंसा की एक नई लहर उत्पन्न हो गई।

आक्रोशित भीड़ द्वारा सरकार पर हमला

अपहरण की घटना के बाद, मणिपुर के इंफाल घाटी में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार, 16 नवंबर 2024 को आक्रोशित होकर कई वाहनों में आग लगा दी और राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के आवास पर हमला करने की कोशिश की, जिससे सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हो गई।

इंफाल में हिंसा और तोड़-फोड़ की घटनाओं में कई विधायकों के घरों को निशाना बनाया गया। प्रदर्शनकारी भीड़ ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री सपम रंजन के आवास पर हमला किया और उपभोक्ता मामलों एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री एल. सुसींद्रो सिंह के घर को भी नुकसान पहुंचाया। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि राज्य में हालात कितने विकट हो चुके हैं और प्रदर्शनकारियों का गुस्सा कितना बढ़ चुका है।

केंद्र और राज्य सरकार का रुख

मणिपुर सरकार ने इस हिंसा की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को एक चिट्ठी भेजी है, जिसमें राज्य में “अशांत क्षेत्र” का दर्जा लागू करने के फैसले की समीक्षा करने की अपील की गई है। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने सुरक्षा बलों द्वारा लागू किए गए सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को फिर से लागू करने पर पुनर्विचार की मांग की है। 14 नवंबर 2024 को केंद्र सरकार ने मणिपुर के छह पुलिस थानों के क्षेत्रों में AFSPA लागू कर दिया था, जिससे हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

केंद्र सरकार का कहना है कि मणिपुर में सुरक्षा की स्थिति काफी अस्थिर है और उग्रवादी समूहों की हिंसा में सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। इस कारण, यह कदम उठाया गया ताकि सुरक्षा बलों को राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिल सके।

इंटरनेट और मोबाइल डेटा पर प्रतिबंध

मणिपुर में बढ़ती हिंसा और तनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। 16 नवंबर 2024 से प्रभावी इस आदेश के तहत, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर और अन्य प्रभावित जिलों में इंटरनेट सेवाएं दो दिन के लिए निलंबित कर दी गई हैं। यह कदम राज्य में अफवाहों और भड़काऊ कंटेट को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है, जिससे हिंसा को और बढ़ावा मिल सकता है।

सरकार ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय मणिपुर में शांति और सुरक्षा को बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके बावजूद राज्य की स्थिति में सुधार की उम्मीदें बहुत कम हैं।

मणिपुर में बढ़ती हिंसा और अस्थिरता ने एक बार फिर राज्य के भीतर संघर्ष को बढ़ा दिया है। उग्रवादियों और प्रदर्शनकारियों के हमलों ने सरकार की चुनौती को और बढ़ा दिया है। इस असमंजसपूर्ण स्थिति में, मणिपुर की जनता और सुरक्षा बलों के लिए शांति और सुरक्षा की बहाली की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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