Tahawwur Rana News: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाया गया है। अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे 18 दिनों की हिरासत में लिया है। राणा पर मुंबई हमलों की योजना बनाने और आतंकियों को सहयोग देने का गंभीर आरोप है। इस मामले में अब भारतीय न्याय व्यवस्था के नए कानून के तहत उसकी जांच और सुनवाई तेज गति से होगी।
नए कानून के तहत तय हुई समयसीमा
भारत में 2023 में पारित किए गए नए कानून, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) के अनुसार अब आपराधिक मामलों की जांच और सुनवाई के लिए तय समयसीमा निर्धारित की गई है। इस संहिता के अनुसार, किसी भी गंभीर अपराध की जांच 60 से 90 दिन के भीतर पूरी करनी होगी और उसके बाद अदालत में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल करना अनिवार्य है। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन मामलों के लिए बनाई गई है, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आम जनता की सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा होता है।
लंबे मुकदमे की परंपरा पर लगेगा विराम
भारतीय न्याय प्रणाली में वर्षों से “तारीख पर तारीख” की परंपरा चली आ रही थी, जिससे न्याय में देरी आम बात हो गई थी। लेकिन अब नए कानून के लागू होने से जांच एजेंसियों और अदालतों दोनों पर समयबद्ध कार्रवाई का दबाव होगा। तहव्वुर राणा जैसे मामलों में यह पहल काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इससे पीड़ितों को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद है।
तहव्वुर राणा के खिलाफ सबूत और केस की मजबूती
NIA के पास राणा के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, जिनमें पाकिस्तान स्थित आतंकियों के साथ उसकी बातचीत, योजना निर्माण में भागीदारी और हमले को अंजाम देने में सहयोग जैसे तथ्य शामिल हैं। अमेरिका की एक अदालत में भी राणा की संलिप्तता को लेकर मजबूत दलीलें दी गई थीं, जिसके आधार पर उसे भारत भेजने की अनुमति दी गई।
नए कानून का व्यापक असर
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता न केवल तहव्वुर राणा के मामले में, बल्कि सभी आपराधिक मुकदमों में न्याय प्रक्रिया को तेज करने का एक माध्यम बनेगी। इससे अदालतों पर लंबित मामलों का बोझ भी कम होगा और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सकेगा। यह कानून पुलिस और जांच एजेंसियों को भी जवाबदेह बनाएगा कि वे समयसीमा के भीतर निष्पक्ष और गहन जांच पूरी करें।
मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा भारत में गिरफ्त में
तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और उस पर होने वाली त्वरित कार्रवाई इस बात का संकेत है कि भारत अब गंभीर आपराधिक मामलों में न्याय को टालने नहीं देगा। नए कानून की मदद से अब अपराधियों को समय पर सजा मिल सकेगी और देश की न्याय प्रणाली पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा।